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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की खुली पोल! पूर्व मंत्री लुत्फ़ोज़मैन बाबर की रिहाई से Muhammad Yunus पर उठ रहे गंभीर सवाल; जानें डिटेल

Muhammad Yunus: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार फिर से सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है, दरअसल बांग्लादेश ने एक कुख्यात आरोपी को रिहा कर दिया है।

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Muhammad Yunus
फाइल फोटो प्रतीकात्मक

Muhammad Yunus: बांगलादेश की अंतरिम सरकार ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए, 10-ट्रक हथियार तस्करी मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व मंत्री लुत्फ़ोज़मैन बाबर को रिहा कर दिया है। इस कदम को लेकर बांगलादेश के अंदर और बाहर कई आलोचनाएँ हो रही हैं। यह घटनाक्रम बांगलादेश में बढ़ते राजनीतिक संकट और उग्रवादी ताकतों के प्रभाव को और अधिक स्पष्ट करता है। जिसके बाद Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है।

कौन है लुत्फ़ोज़मैन बाबर?

लुत्फ़ोज़मैन बाबर बांगलादेश राष्ट्रीय पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी गठबंधन सरकार के गृह राज्य मंत्री रहे हैं। बाबर पर 2004 में भारत के असम राज्य में सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए चिटगांव से 10 ट्रक हथियारों की तस्करी का आरोप है। ये हथियार भारत के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) को भेजे गए थे, जो असम को भारत से अलग करने की कोशिश कर रहा था। बाबर को 2007 में गिरफ्तार किया गया और उन्हें आर्म्स एक्ट और स्पेशल पावर्स एक्ट के तहत सजा सुनाई गई थी। बाबर की रिहाई से एक बार फिर बांगलादेश की न्याय व्यवस्था और Muhammad Yunus सरकार पर सवाल उठने लगे हैं।

बांगलादेश की हालिया न्याय स्थिति

Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार बनने के बाद से ही बांगलादेश में न्यायपालिका पर बढ़ते राजनीतिक प्रभाव के बारे में कई रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं। बाबर की रिहाई और ऐसे अन्य फैसलों से यह साफ़ होता है कि न्यायिक प्रक्रिया अब राजनीति का हिस्सा बन गई है। बांगलादेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बहुत कमजोर हो चुकी है, जिससे उग्रवादी तत्वों को पनपने का अवसर मिल रहा है। यह स्थिति देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

Muhammad Yunus और भारत के बीच मतभेद जारी

बांगलादेश की बढ़ती आतंकवादी गतिविधियां इसके अलावा, बांगलादेश में अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी समूहों के बढ़ते प्रभाव ने और अधिक चिंता पैदा की है। ऐसे मामलों में बांगलादेश की सरकार का रवैया जाँच और कार्रवाई में ढिलाई का है। इससे भारत और अन्य देशों के साथ बांगलादेश के रिश्तों पर असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों से भारत और बांग्लादेश के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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