Tuesday, May 20, 2025
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Muhammad Yunus: बांग्लादेश में हिंसा, अराजकता के बीच मोहम्मद यूनुस की एंट्री! क्या वर्तमान स्थिति पर पा सकेंगे नियंत्रण?

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Muhammad Yunus: भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है और देश की कमान अब सेना के बाद अंतरिम सरकार के हवाले कर दी गई है। सेना, विपक्षी दल और प्रदर्शनाकरी छात्रों के समूह की सहमति पर नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को अंतरिम सरकार का मुखिया चुना गया है।

सीधे शब्दों में कहें तो बांग्लादेश (Bangladesh Unrest) में मोहम्मद यूनुस की एंट्री हिंसा और अराजकता के इस भीषण दौर में हुई है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में उपजी हिंसा की इस स्थिति से पार पाक सकेंगे या शांति स्थापित करने के लिए अभी और लंबा संघर्ष करना होगा? ऐसे में आइए हम आपको इन तमाम सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं।

Muhammad Yunus की एंट्री!

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ चल रहा विरोध-प्रदर्शन अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालाकि सेना और विपक्षी दलों ने आपसी सूझ-बूझ के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग को सुनते हुए नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का मुखिया घोषित कर दिया है।

मोहम्मद यूनुस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘गरीबों के बैंकर’ के तौर पर जाना जाता है क्योंकि उन्होंने कठिन परिश्रम कर बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में ग्रामीण बैंको की स्थापना की थी। इस खास काम के लिए उन्हें वर्ष 2006 में शांति का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। हालाकि अभी चुनौती एकदम अलग है।

बांग्लादेश में पसरी हिंसा और अराजकता के बाद अर्थव्यवस्था पर भी चोट पहुंची है और सेना के अधिकारी भी सरकार में दखल देते नजर आ रहे हैं। ऐसे में ये स्थिति मोहम्मद यूनुस के लिए बहुत अनुकूल नजर नहीं आ रही है। हालाकि उनके पुराने अनुभव को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बांग्लादेश में पूर्ण रूप से शांति स्थापित कर पाने में कामयाब हो सकेगी और सारी व्यवस्थाएं पुन: पटरी पर लौट सकेंगी।

शेख हसीना के कट्टर विरोधी

बांग्लादेश में गछित की गई अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस, पूर्व पीएम शेख हसीना के कट्टर विरोधी रहे हैं। समय-समय पर वो शेख हसीना का विरोध कर सुर्खियों में बने रहते हैं। उन्होंने बांग्लादेश में हुए आम-चुनाव के दौरान शेख हसीना और आवामी लीग पर हमला बोलते हुए कहा था कि “बांग्लादेश में कोई राजनीति नहीं बची है। यहां केवल एक पार्टी है जो सक्रिय है और गैर कानूनी तरीकों से चुनाव जीतती है।”

मोहम्मद यूनुस ने इसके अलावा शेख हसीना के इस्तीफे को बांग्लादेश के हित में बताया और इसे ‘दूसरा मुक्ति दिवस’ करार दिया। ऐसे में ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या मोहम्मद यूनुस शेख हसीना के जैसे भारत के साथ घनिष्ठता भरे संबंध को आगे बढ़ाएंगे या इसमें दरार देखने को मिलेगी।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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