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निवेश के मामले में Muhammad Yunus ने किया बांग्लादेश का बंटाधार! BGMEA चीफ ने खोल दी अंतरिम सरकार के नाकामी की पोल

निवेश के मामले में Muhammad Yunus ने बांग्लादेश का बंटाधार कर दिया है। इसकी पोल खुद BGMEA चीफ महमूद हसन खान बाबू ने खोल दी है। निवेश के मोर्चे पर अंतरिम सरकार की नाकामी मुहम्मद यूनुस की नीतियों पर सवाल खड़ा करती है।

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Muhammad Yunus
Picture Credit: गूगल (Muhammad Yunus - सांकेतिक तस्वीर)

Muhammad Yunus: अपनी नीतियों के कारण चारो तरफ से थू-थू बटोर रहे मुहम्मद यूनुस ने निवेश के मोर्चे पर बांग्लादेश का बंटाधार कर दिया है। इसकी पोल खुद BGMEA चीफ ने ही खोली है। बांग्लादेश परिधान निर्माता और निर्यातक संघ के चीफ महमूद हसन खान बाबू ने अंतरिम सरकार की नाकामी पर बड़ी बात कह दी है। उन्होंने कहा है कि निवेश के मोर्चे पर Muhammad Yunus सरकार विफल रही है। सारा व्यवसायी समाज इस आस में नजर टिकाए बैठा है कि भविष्य में सत्ता के शीर्ष तक कौन पहुंच रहा है। बांग्लादेश की सत्ता में जो भी आएगा उसकी नीति और गतिविधियों के आधार पर ही निवेश निर्भर करेगा। बता दें कि बांग्लादेश पिछले कुछ दिनों तक कट्टरपंथ का शिकार रहा है और इसी चक्कर में विकास बुरी तरह से प्रभावित है।

निवेश के मामले में Muhammad Yunus ने किया बांग्लादेश का बंटाधार!

बांग्लादेश परिधान निर्माता और निर्यातक संघ के चीफ महमूद हसन खान बाबू ने मुहम्मद यूनुस सरकार की नीतियों का जिक्र करते हुए बड़ी बात कह दी है। उन्होंने इशारों-इशारों में अंतरिम सरकार को नाकामयाब बताया है। महमूद हसन खान का कहना है कि “परिभाषा के अनुसार, यह सरकार अंतरिम है। हर कोई जानता है कि फिलहाल, Muhammad Yunus जुलाई विद्रोह और क्रांति की स्थिति के बाद आए हैं। इस सरकार ने बैंकिंग सुधारों, खासकर, बैंकिंग क्षेत्र की लूट और कुप्रबंधन पर नियंत्रण के मामले में कुछ अच्छी पहल की हैं। लेकिन निवेश के मामले में, निवेशक या व्यवसाय निर्वाचित सरकार का इंतजार कर रहे हैं। हम, व्यवसायी लोग, एक स्थायी सरकार चाहते हैं। हम देखना चाहेंगे कि भविष्य में कौन आ रहा है। उनकी नीति और गतिविधियों के आधार पर, निवेश निर्भर करेगा। एक अंतरिम सरकार में, निवेशक निवेश नहीं करना चाहते हैं।”

कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का आरोप झेल चुके हैं मुहम्मद यूनुस

गौर करने वाली बात है कि अगस्त 2024 के बाद से बांग्लादेश में कट्टरपंथ को बढ़ावा मिला है और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं। ये सब कुछ Muhammad Yunus के सत्ता में आने के बाद हुआ है। अंतरिम सरकार पर पहले भी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के आरोप लग चुके हैं। भारत की ओर से भी कई दफा ये शिकायत रही है कि मुहम्मद यूनुस के शासन काल में कट्टरपंथी ज्यादा आक्रोशित हैं और चुन-चुनकर हिंदुओं से जुड़े प्रतीक चिन्हों और विरासतों को निशाना बना रहे हैं। यही वजह है कि अब सरकार निवेश के मोर्चे पर पूर्णत: असफल साबित हुई है और सवालों के घेरे में है।

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