Khawaja Asif: पड़ोसी मुल्क एक बार फिर वैश्विक मंच पर एक्सपोज हो गया है। पूरा मामला पीएम शहबाज शरीफ के करीबी मंत्री ख्वाजा आसिफ के एक बयान से जुड़ा है। दरअसल, जियो न्यूज के एक कार्यक्रम का हिस्सा बनते हुए पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने तालिबानी हमलों के बीच नई दिल्ली से तार जोड़ दिए हैं।
ख्वाजा आसिफ ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए पाकिस्तान की नाकामयाबी का ठिकरा भारत पर फोड़ा है। पीएम शहबाज के मंत्री ने बौखलाते हुए कहा है कि काबुल उनके देश में आतंक फैलाने के लिए नई दिल्ली का एक हथियार बन रहा है। ख्वाजा आसिफ की ये टिप्पणी साफ तौर पर पड़ोसी मुल्क की हुकूमत का पोल खोलती है। ये दर्शाता है कि कैसे पाकिस्तान अब काबुल का बहाना कर नई दिल्ली से खौफ खा रहा है।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री Khawaja Asif की बौखलाहट से खुल गई पोल
पड़ोसी मुल्क के मंत्री ख्वाजा आसिफ की बौखलाहट साफ तौर पर सामने आ गई है। जियो न्यूज के एक प्रोग्राम का हिस्सा बनते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि काबुल पाकिस्तान में आतंक फैलाने के लिए नई दिल्ली को हथियार बना रहा है। खौफ से कांप रहे ख्वाजा आसिफ का कहना है कि अगर काबुल ने इस्लामाबाद पर हमला किया तो उसे 50 गुना ज़्यादा कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी।
रक्षा मंत्री ने तालिबानी हुकूमत पर शांति समझौते से बार-बार पीछे हटने का आरोप भी लगाया है जो पाकिस्तान में अंदरखाने उपज रहे खौफ के माहौल को दर्शाता है। ख्वाजा आसिफ को अंदेशा है कि भारत काबुल के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है और पड़ोसी मुल्क को नुकसान पहुंचा रहा है। ये बात पाकिस्तानी हुकूमत की ओछी सोच दर्शाने के लिए काफी है।
अब किसके खौफ से कांप रही पाकिस्तानी हुकूमत?
पीएम शहबाज के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी हुकूमत भारत के साथ तालिबानियों से भी खौफ खाने लगी है। बीते दिनों बॉर्डर पर हुई खूनी-संघर्ष में पाकिस्तानी सेना को मुंह की खानी पड़ी थी। अब आलम ये है कि पाकिस्तान भागे-दौड़े शांति वार्ता को प्राथमिकता देने की बात कर रहा है।
मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपनी बौखलाहट पेश करते हुए कहा है कि “जब भी हम (पाकिस्तान-अफगानिस्तान) किसी समझौते के करीब पहुँचते हैं, तब हस्तक्षेप होता है और समझौता रद्द कर दिया जाता है। बातचीत में बाधा डाली गई है। काबुल पहले तैयार था और अब समझौते से पीछे हट गया है। ये बाहरी दखल को दर्शाता है।”
यहां पाकिस्तानी रक्षा मंत्री इशारों-इशारों में ही काबुल-इस्लामाबाद के बीच जारी संघर्ष में नई दिल्ली की दखल पर जोर दे रहे हैं। ये साफ तौर पर पाकिस्तान के भीतर भारत के प्रति खौफ को दर्शाता है। इस पूरे खेल में भारत मूक दर्शक की भूमिका में खेल का मजा ले रहा है और अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष पर नजर जमाए हुए है।
