Author: Sunil Poddar Date: 10/2/2024

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शनिदेव को कैसे मिली न्यायधीश की उपाधि?

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किंवदंतियों के अनुसार

जब भगवान सूर्य अपनी पत्नी छाया के पास पहुंचे तो सूर्य के प्रकाश से उनकी पत्नी छाया ने आंखें बन कर ली।

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पिता से क्रोधित हो गए

 इसी वजह से शनिदेव का रंग श्याम अर्थात काला पड़ गया। इसी बात से शनिदेव अपने ही पिता से क्रोधित हो गए। 

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शंकर की घोर तपस्या

शनि देव ने आगे चलकर भगवान शंकर की घोर तपस्या की और इस तपस्या से उनका शरीर पूर्ण रूप से जला लिया।

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भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए

शनि की भक्ति को देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा।

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शनिदेव ने वरदान

शनिदेव ने वरदान के रूप में मांगा कि वह चाहते हैं कि उनकी पूजा अपने पिता से अधिक हो, 

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शनिदेव को वरदान

जिससे सूर्य देव को अपने प्रकाश का अहंकार टूट जाए। भगवान शिव ने शनिदेव को वरदान दिया कि तुम नव ग्रहों में श्रेष्ठ हो जाएगे

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कर्मों के अनुसार फल प्रदान

और पृथ्वी लोक पर न्यायाधीश के रूप में तुम लोगों को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करोगे। 

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न्यायाधीश के रूप में पूजा जाता है

 इसलिए आज भी भगवान शनि को न्यायाधीश के रूप में पूजा जाता है  

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सभी ग्रहों में उनका स्थान बहुत ऊंचा है

 इसलिए आज भी भगवान शनि को न्यायाधीश के रूप में पूजा जाता है  और सभी ग्रहों में उनका स्थान बहुत ऊंचा है।