सोमवार, जून 2, 2025
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Bakrid 2025: कुर्बानी की क्या है शर्तें? किन जानवरों को कुर्बान करना नहीं होता है कबूल? यहां जानें सब कुछ

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Bakrid 2025: हर्षोल्लास के साथ अगले शनिवार यानी 7 जून को इस्लामिक त्योहार ईद-उल-अजहा मनाया जाएगा। बकरीद के नाम से भी जाने जाने वाले इस त्योहार ईद-उल-अजहा पर जानवरों की कुर्बानी देने की मान्यता है। हालांकि, किन जानवरों की कुर्बानी देनी चाहिए, कुर्बानी की शर्तें क्या-क्या हैं? ये कुछ ऐसे सवाल है कि कईयों के मन में उठ रहे होंगे। ऐसे में बकरीद 2025 से पहले हम कोशिश करेंगे कि इन सवालों का जवाब दिया जाए। इसके साथ ही हम जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा कही गई कुछ बातें बताएंगे। मौलाना मदनी ने Bakrid 2025 से पूर्व इस्लाम में आस्था रखने वालों से खास अपील करते हुए बड़ी बात कह दी है।

कुर्बानी की शर्तें और किन जानवरों को कुर्बानी नहीं होती है कबूल, Bakrid 2025 पर जानें सब कुछ

खास तौर पर इस तरह के सवाल अब उठ रहे हैं क्योंकि आगामी 7 जून को देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद 2025 मनाया जाएगा। इस खास त्योहार पर कुर्बानी की परंपरा रही है जिसके लिए कुछ नियम शर्तों का पालन करना होता है। जैसे-

1- सनद रहे कि कुर्बानी ईद की नमाज के बाद और सूर्यास्त से पहले हो।
2- कुर्बानी देने वाला शख्स कर्ज मुक्त हो।
3- कुर्बानी देने वाले को अपनी कमाई का 25% दान देना चाहिए।
4- कुर्बानी जानवरों के बच्चों के बजाय स्वस्थ्य और बालिग जानवर की हो।
5- कुर्बानी के बकरे को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाए।
6- गोश्त का एक हिस्सा एक गरीबों को, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों व तीसरा खुद के लिए रखा जाना चाहिए।

इन जानवरों की कुर्बानी नहीं होती है कबूल

बता दें कि बकरीद पर नाबालिग जानवर, बीमार जानवर, चोटिल जानवर या छोटे पशुओं की कुर्बानी कबूल नहीं होती। इसके साथ ही ऐसे जानवर जिनके सींग या कान का अधिकतर हिस्सा टूटा हो उनकी कुर्बानी भी कबूल नहीं होती।

बकरीद 2025 से पूर्व इस्लाम में आस्था रखने वालों से मौलाना मदनी की अपील

चर्चित शख्सियत व जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने Bakrid 2025 से पहले इस्लाम में आस्था रखने वालों से खास अपील की है। मौलाना मदनी ने कहा है कि लोग सोशल मीडिया पर कुर्बानी के जानवरों की तस्वीरें आदि साझा करने से बचें। इसके अलावा अरशद मदनी ने कुर्बानी का जिक्र करते हुए कहा है कि “इस्लाम में कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है। यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसकी अदायगी हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है। इसलिए जिस व्यक्ति पर कुर्बानी वाजिब है, उसे हर हाल में यह फर्ज अदा करना चाहिए।” मौलाना मदनी ने ये भी कहा है कि “सभी मुसलमान कु्रबानी करते समय सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से बचें।”

डिस्क्लेमर: यहां दी गई कुर्बानी से जुड़ी जानकारी आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। डीएनपी इंडिया किसी मान्यता की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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