Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में जाति और सामाजिक प्रभाव की अहम भूमिका रही है। यह कोई नई बात नहीं है। इसकी जड़ें बरसों पुरानी हैं। इसी के मद्देनज़र, बीते कुछ वर्षों में बिहार की सत्ता में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कई क्षेत्रिय दल उभरे हैं। हालाँकि, हर नए और मौजूदा राजनीतिक पार्टी को दिन-ब-दिन संघर्ष करना पड़ा है।
इसके बावजूद, इन क्षेत्रिय पार्टी के प्रभाव को देखते हुए, कई राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी इन्हें अपने पाले में बनाए रखने के लिए अथक प्रयास करते रहे हैं। अपनी कम चुनावी सफलता दर के बावजूद, ये क्षेत्रिय पार्टी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इस खबर में हम मुकेश सहनी और उनकी वीआईपी पार्टी की चर्चा करेंगे, जो हाल के वर्षों में बिहार की राजनीति में चर्चा का केंद्र रही है। उसका प्रभाव पटना से लेकर दिल्ली तक हाल के दिनों में हर किसी की जुबान पर साफ़ दिखाई देता है।
Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में कितने असरदार हैं मुकेश सहनी?
मालूम हो कि 2023 के जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार, मल्लाह समुदाय बिहार की आबादी का लगभग नौ प्रतिशत है। खुद को ”सन ऑफ मल्लाह” कहने वाले मुकेश सहनी के अनुसार, उनका समुदाय बिहार की आबादी का 12 से 15 प्रतिशत है और समुदाय में उनका अच्छा-खासा प्रभाव है। इसी को देखते हुए, राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों का महागठबंधन उन्हें 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 15 सीटें देने की तैयारी करता रहा है। लेकिन, सहनी 40 सीटों की मांग पर अड़े रहे हैं।
मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में खुद को एक प्रमुख नेता के रूप में पेश करते हैं, भले ही उनकी पार्टी का कोई विधायक नहीं है। कुल मिलाकर मुकेश सहनी को वोट बैंक की राजनीति का फायदा मिलता रहा है। जैसा कि गुरुवार देर रात महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर हुई चर्चाओं से पता चलता है। इसमें मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 15 सीटें दी गईं। ऐसी भी खबरें थीं कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुकेश सहनी को मनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से फोन किया था। इसके अलावा, मुकेश सहनी को अपने साथ बनाए रखने के लिए तेजस्वी के बेहद खास नेता और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच दिल्ली में लंबी चर्चा हुई।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : मुकेश सहनी क्या वे मैकबेथ बनकर रह जाएँगे?
बिहार के हर जिले में मल्लाह समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। उत्तर बिहार के कई जिलों में इस समुदाय का प्रभाव साफ दिखाई देता है। मिथिला क्षेत्र हो या सीमांचल का इलाका, मल्लाह समुदाय का मजबूत प्रभाव हर जगह है। पटना, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, खगड़िया, पूर्णिया, अररिया और कटिहार में इस जाति का वोट बैंक किसी भी राजनीतिक दल के लिए ताकत का स्तंभ रहा है। जिसे हर कोई अपने पाले में करने की कोशिश करता रहा है।
बीते कुछ वर्षों में इस समुदाय के आधे से ज्यादा लोगों ने मल्लाह समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मुकेश सहनी और उनकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का समर्थन किया है। 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों में इसकी साफ झलक दिखी। हालांकि, मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने इस चुनाव में 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन विकासशील इंसान पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, फिर भी उसे अच्छी-खासी संख्या में वोट मिले। जिसकी चर्चा भाजपा, कांग्रेस, जदयू और राजद में रही।
इसके बाद, मुंबई में बॉलीवुड फिल्मों के सेट डिजाइन करने वाले मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में किंगमेकर के तौर पर देखे जाने लगे। 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद, मुकेश सहनी को भाजपा के कहने पर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। मुकेश सहनी का यह सफर लंबा नहीं रहा। उनकी अनियंत्रित महत्वाकांक्षा ने उन्हें बिहार की राजनीति में शेक्सपियर के पात्र मैकबेथ जैसा बना दिया। शेक्सपियर के पात्र मैकबेथ, जिनकी अनियंत्रित महत्वाकांक्षा ही अंततः उनके पतन का कारण बनी।