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CBI on Mehul Choksi: इंटरपोल से चोकसी को राहत मिलने पर CBI की टिप्पणी, कहा- नहीं पड़ेगा फर्क

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भगोड़े मेहुल चोकसी को लेकर एंटीगुआ और बारबुडा की कोर्ट ने कहा है कि उसकी इजाजत के बिना कोई भी इसे दूसरे देश में नहीं ले जा सकता है।

CBI on Mehul Choksi: पंजाब नेशनल बैंक में 13 हजार करोड़ रुपए के घोटाला मामले में मेहुल चोकसी को इंटरपोल से राहत मिली है। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से एक बयान जारी किया गया है। सीबीआई ने अपने बयान में कहा कि इंटरपोल की फाइलों के नियंत्रण के लिए सीसीएफ से मेहुल के खिलाफ रेड नोटिस बहाल करने को कहा है।

गौर हो कि इंटरपोल ने केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI on Mehul Choksi) और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अनुरोध करने पर चोकसी को रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। इंटरपोल की ओर से यह नोटिस साल 2018 में जारी किया गया था। इस फैसले के खिलाफ 2020 में उसकी अपील खारिज कर दी गई थी।

2022 में मेहुल ने किया था संपर्क

केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक (CBI on Mehul Choksi) साल 2022 में मेहुल ने कथित अपहरण के प्रयास के बाद सीसीएफ से संपर्क किया था। सीसीएफ से संपर्क करने के बाद मेहुल ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस हटाने का अनुरोध किया था। चोकसी की इसी याचिका पर अंतरराष्ट्रीय संगठन ने ये फैसला लिया है।

ये भी पढ़ें: Raghav Chadha Attacks BJP: ‘इंटरपोल को जानबूझकर भाजपा सरकार ने सबूत नहीं सौंपा इसलिए मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस हुआ रद्द’

सीसीएफ एक अलग निकाय (CBI on Mehul Choksi)

CBI ने कहा कि सीसीएफ एक इंटरपोल के भीतर अलग निकाय है। उन्होंने कहा कि ये इंटरपोल सचिवालय के नियंत्रण में नहीं है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि इसे विभिन्न देशों के वकीलों की ओर से नियुक्त किया जाता है। वहीं, सीसीएफ ने भगोड़े मेहुल चोकसी के आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद इंटरपोल ने रेड नोटिस जारी किया था।

क्या है मामला

बता दें, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर 14 हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने का आरोप है। यह घोटाला पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है, ऐसा आरोप लगाया गया है। 2011 से 2018 के बीच फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स के जरिए रकम विदेशी खातों में ट्रांसफर की गई है।

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