Wednesday, February 12, 2025
Homeख़ास खबरेंLala Lajpat Rai पर क्रूरता, ब्रिटिश हुकूमत के लिए साबित हुई ताबूत...

Lala Lajpat Rai पर क्रूरता, ब्रिटिश हुकूमत के लिए साबित हुई ताबूत की अंतिम कील? Bhagat Singh ने ऐसे वापस दिलाया था सम्मान

Date:

Related stories

TV और Smartphone का ज्यादा इस्तेमाल कैसे छोटे बच्चों के लिए है घातक? रिसर्च में हुए खुलासे को पढ़ खुल जाएंगी आंखें

Children Screen Time: एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि छोटे बच्चों (टोडलर्स) के लिए अधिक स्क्रीन टाइम, जैसे कि टीवी और स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल, उनकी भाषा विकास क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

Digital Well Being Index में भारत का डंका! 67 अंक हासिल कर रच डाला कीर्तिमान; पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Digital Well Being Index: भारत ने वैश्विक डिजिटल वेल-बिइंग इंडेक्स में 67 अंक के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, जैसा कि सोमवार को एक रिपोर्ट में बताया गया। यह अंक देश में माता-पिता और किशोरों के बीच मजबूत विश्वास और समर्थन को दर्शाता है।

केरल, गुजरात ही नहीं, भारत के इन तटीय राज्यों में सुरक्षा देते हैं Indian Cost Guard! जानें कैसे समुद्री तस्करी पर लगाते हैं लगाम?

Indian Cost Guard Day 2025: समुद्री भू-भाग से घिरे भारतवर्ष की सुरक्षा में तटरक्षक बलों की भूमिका भी अहम है। इंडियन कोस्ट गॉर्ड की अहमियत को देखते हुए ही उनके सम्मान में प्रत्येक वर्ष 1 फरवरी को इंडियन कोस्ट गॉर्ड डे मनाया जाता है।

अपमान व पत्थर की मार झेल कुप्रथाओं के खिलाफ मुखर रही थीं Savitribai Phule! जन्म जयंती पर जानें सभी उपलब्धियां

Savitribai Phule: समतामूलक समाज के लिए अपना जीवन न्योछावर करने के लिए जानी जाने वालीं सावित्रीबाई फुले की आज जन्म जयंती है। देश के तमाम शीर्ष पदों पर काबिज लोगों ने आज सावित्रीबाई फुले को नमन किया है।

Nurse Nimisha Priya के सिर मंडरा रहा फांसी का खतरा! परिजनों की उम्मीद अभी बरकरार, जानें क्या है पति थॉमस का पक्ष?

Nurse Nimisha Priya: यमन की जेल में मौत की सजा का सामना कर रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के परिवार की उम्मीदें अभी भी बरकरार हैं। उनके पति टोमी थॉमस और छोटी बेटी को विश्वास है कि पीड़ित परिवार को ब्लड मनी देकर मामले को सुलझाया जा सकता है।

Lala Lajpat Rai: वक्त जब बेतहाशा रफ्तार के साथ दौड़ रहा हो तो अतीत के किस्से बेहद संजीदे और जीवंत से लगते हैं। कुछ ऐसे भी किस्से होते हैं जिनके सहारे हम गौरवान्वित महसूस कर खुद को अतीत की ओर खींच ले जाते हैं। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाला लाजपत राय की जयंती पर ऐसा ही एक किस्सा हम आपके लिए लाए हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि ये किस्सा सच है और दर्शाता है कि कैसे Lala Lajpat Rai पर हुई क्रूरता के बाद अंग्रेजो के ताबूत में अंतिम कील ठोंकी गई थी। साथ ही ये भी बताएंगे कि कैसे भगत सिंह ने लाला लाजपत राय पर बरसी लाठियों का बदला लेते हुए देश का सम्मान वापस दिलाया था।

Lala Lajpat Rai पर क्रूरता, ब्रिटिश हुकूमत के लिए साबित हुई ताबूत की अंतिम कील?

लाहौर की वो शाम इतिहास में अमर हो गई, जब लाला लाजपत राय अपने सहयोगियों के साथ साइमन कमीशन का विरोध करने सड़क पर उतर गए। अक्टूबर 1927 में लाहौर रेलवे स्टेशन पर साइमन कमीशन का जमकर विरोध हुआ। इस दौरान अंग्रेज लगातार चेतावनी देते रहे। अंग्रेजों की चेतावनी सुन Lala Lajpat Rai गरजे। उन्होंने कहा “हम प्राणों का मोह छोड़ यहां आए हैं। तुम्हें जो अच्छा लगता हो करो, हम अपना काम कर रहे हैं।” इसके बाद ‘साइमन गो बैक’ के नारे से लाहौर रेलवे स्टेशन गूंज उठा।

अंग्रेजों ने आनन-फानन में लाठी चार्ज किया और जेम्स स्कॉट की लाठियां लाला लाजपत राय पर बरसने लगीं। लाठियों का बहादुरी से सामना कर रहे Lala Lajpat Rai अंतत: 17 नवंबर 1927 को जिंदगी से जंग हार गए और वीरगति को प्राप्त हुए। हालांकि, ब्रिटिश हुकूमत की ये गलती उनके लिए काल बनी और यहीं से देश की आजादी के लिए चल रहा आंदोलन उग्र हो गया। अंतत: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों को भारत से उखाड़ फेंका और देश की आजादी दिलवाई।

Bhagat Singh ने वापस दिलाया था देश का सम्मान

लाला लाजपत राय पर क्रूरता के बाद सेनानियों में उग्रता की ज्वाला भभक उठी थी। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी Bhagat Singh ने इसका बखूबी बदला लिया। पंडित जवाहर लाल नेहरू की शब्दों में कहें तो, भगत सिंह ने जेम्स स्कॉट पर गोलीबारि कर देशवासियों की नज़र में Lala Lajpat Rai का सम्मान वापिस दिलाया। दरअसल, भगत सिंह ने 17 दिसंबर, 1927 को लालाजी पर लाठी भांजने वाले जेम्स स्कॉट पर फायरिंग कर दी। हालांकि, उनका निशाना चुक गया और स्कॉट के बजाय सैंडर्स मारा गया। इसके बावजूद भारतीयों में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी क्योंकि हमारे वीर योद्धाओं ने लाला लाजरत राय के मौत का बदला ले लिया था। उनके इस कदम से मानों देश में लालाजी का सम्मान वापस आ गया हो। इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में इसकी चर्चा होने लगी और लोग खुशियां मनाने लगे।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

Latest stories