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Hazratbal Shrine Emblem: जम्मू-कश्मीर के हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़े जाने का CM Omar Abdullah ने किया समर्थन, बोले- ‘प्रतीक चिह्न और पत्थर की क्या जरूरत थी?’

Hazratbal Shrine Emblem: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़े जाने का समर्थन किया। सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रतीक चिह्न और पत्थर की क्या जरूरत थी?'

Hazratbal Shrine Emblem
Photo Credit: Google, Hazratbal Shrine Emblem

Hazratbal Shrine Emblem: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में राष्ट्रीय चिह्न यानी अशोक चिह्न को कुछ लोगों ने तोड़ दिया। हजरतबल दरगाह प्रतीक तोड़े जाने के बाद विवाद काफी बढ़ गया। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस एक्शन का समर्थन करते हुए बड़ा बयान दिया। साथ ही एक धार्मिक स्थल पर अशोक चिह्न लगाने की आवश्यकता पर सवाल भी उठाया। ‘India Today’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘उस पत्थर पर राष्ट्र चिह्न लगाना चाहिए था या नहीं पहले वो सवाल बनता है। मजहबी चीज में अशोक चिह्न लगाने की क्या मजबूरी बनी थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पत्थर लगाने की जरूरत ही नहीं थी।’

Hazratbal Shrine Emblem: सीएम उमर अब्दुल्ला बोले- ‘प्रतीक चिह्न और पत्थर की क्या जरूरत थी?’

‘India Today’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दरगाह की पट्टिका पर प्रतीक चिह्न को शामिल करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया और तोड़फोड़ में शामिल लोगों के खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत कार्रवाई की आलोचना की।

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘प्रतीक चिह्न और पत्थर की क्या जरूरत थी? क्या काम पहले से ही पर्याप्त नहीं था?’ उन्होंने सार्वजनिक सुरक्षा कानून का जिक्र करते हुए कहा, ‘पहले तो आप लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं और फिर ऐसा करते हैं। इसका क्या मतलब है?’

हजरतबल दरगाह प्रतीक चिह्न तोड़फोड़ मामले पर जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष ने कही ये बात

उधर, Hazratbal Shrine Emblem मामले पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न को कलंकित करने वाली भीड़ के वायरल वीडियो पर भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख़्शां अंद्राबी ने कहा, ‘यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करना एक आतंकवादी हमला है और हमलावर एक राजनीतिक दल के गुंडे हैं। इन लोगों ने पहले भी कश्मीर को बर्बाद किया, और अब वे खुलेआम दरगाह शरीफ़ के अंदर आ गए हैं। हमारे प्रशासक बाल-बाल बचे। भीड़ ने उन पर भी हमला किया। इस भीड़ ने राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करके बहुत बड़ा अपराध किया है। उन्होंने दरगाह की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है और एक बार उनकी पहचान हो जाने पर उन्हें आजीवन दरगाह में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।’

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