Vande Mataram: भारी गहमा-गहमी के बीच लोकसभा में राष्ट्रीय गीत पर 10 घंटे की चर्चा शुरू हो गई है। पीएम मोदी ने इसकी शुरुआत करते हुए बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की भूमिका पर प्रकाश डाला है। पीएम मोदी ने बताया कि कैसे वंदे मातरम की रचना ने भारतीय लोगों के भीतर अंग्रेजी हुकूमत के प्रति तल्ख भाव पैदा किए। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के खिलाफ भी मोर्चा खोलते हुए आपातकाल (1975) का जिक्र कर संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाने की बात कही है। इससे इतर अन्य तमाम पहलुओं के सहारे वंदे मातरम पर जारी चर्चा को रफ्तार दी गई है। ऐसे में आइए हम आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं। साथ ही ये भी बताते हैं कि राष्ट्रीय गीत के तार कैसे राष्ट्रवाद से जुड़ते हैं।
सदन में Vande Mataram पर चर्चा की शुरुआत कर पीएम मोदी ने खोला मोर्चा
संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आज वंदे मातरम पर होने वाली 10 घंटे की चर्चा की शुरुआत कर दी है।
इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि “जब वंदे मातरम के 50 वर्ष पूरे हुए, तब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। जब वंदे मातरम के 100 वर्ष पूरे हुए, तब भारत आपातकाल के चंगुल में था। उस समय देशभक्तों को जेल में डाल दिया गया था। जिस गीत ने हमारे स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया, दुर्भाग्य से, भारत एक काले दौर से गुजर रहा था। वंदे मातरम के 150 वर्ष उस गौरव और हमारे अतीत के उस महान हिस्से को पुनः स्थापित करने का एक अवसर है। इस गीत ने हमें 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।”
पीएम मोदी ने आगे कहा कि “वंदे मातरम एक मंत्र है, एक नारा है जिसने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा दी, प्रेरणा दी, और त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया। यह गर्व की बात है कि हम वंदे मातरम के 150 वर्ष के साक्षी बन रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। यह एक ऐसा कालखंड है जब कई ऐतिहासिक घटनाओं को मील के पत्थर के रूप में मनाया जा रहा है। हमने हाल ही में अपने संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया। देश सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है। हम गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस भी मना रहे हैं। अब हम वंदे मातरम के 150 वर्ष मना रहे हैं।”
राष्ट्रवाद से कैसे जुड़े राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के तार?
अतीत के पन्ने पलटने पर इसका जवाब बड़ी आसानी से हासिल किया जा सकता है। 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय लोगों ने क्रांति की शुरुआत कर दी थी। देश के तमाम हिस्सों में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध नारेबाजी और संग्राम का दौर जारी थी। उसी बीच 7 नवंबर, 1875 को बंगाल में जन्मे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना की। इस गीत की धुन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों के भीतर देशभक्ति के साथ अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता का भाव लाने में भूमिका निभाई। तब से आज तक भारतीय गर्व के साथ वंदे मातरम गाकर देशभक्ति का भाव प्रकट करते हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय गीत के तार राष्ट्रवाद से जोड़े जाते हैं।
