India-China Relation: संबंधों पर जमी बर्फ पिघलने का नाम नहीं ले रही। वास्तविक नियंत्रण रेखा या LAC पर कथित रूप से बढ़ी सैन्य गतिविधियों पर भारत की पैनी नजर है। यही वजह है कि भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री लगातार मामले की मॉनिटरिंग में जुटे हैं। बीते दिन विदेश सचिव ने चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने इंडियाृटीन रिलेशन को तवज्जो देते हुए तल्ख भाव में LAC पर सैन्य गतिरोध का जिक्र किया। India-China Relation को लेकर बगैर किसी लाग-लपेट के अपनी बात रखते हुए विक्रम मिस्री ने कहा कि आगे का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन हम चलने के लिए तैयार हैं। ऐसे में भारत की ओर से ये स्पष्ट है कि Xi Jinping चाहें जो तरकीब आजमा लें, भारत उससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
India-China Relation को लेकर विदेश सचिव की खरी-खरी
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जैसे को तैसा वाला जवाब देते हुए कहा कि इंडिया-चीन रिलेशन के लिए आगे का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन हम चलने के लिए तैयार हैं। भारत का ये रुख दर्शाता है कि सरकार अब ईंट का जवाब पत्थर से देने की स्थिति में है। विदेश सचिव ने ये भी कहा कि “पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंध एक कठिन दौर से गुजरे हैं, लेकिन हमारे नेताओं के मार्गदर्शन और राजनीतिक नेतृत्व, हमारे सैन्य नेताओं और हमारे राजनयिकों के अथक प्रयासों के कारण हमने कई मुद्दों को सुलझाया है। सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द हमारे समग्र द्विपक्षीय राष्ट्रों के सुचारू विकास के लिए महत्वपूर्ण है। India-China अपने द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।”
विदेश सचिव का रुख साफ है कि India-China Relation पर उसकी नजर बारीकी से बनी हुई है। LAC पर सैन्य गतिविधियां हों या अन्य मुद्दे, भारत हर मोर्चे को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार बैठा है।
इशारों-इशारों में Xi Jinping पर उठे सवाल
नाम लिए बगैर ही विदेश सचिव ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। विक्रम मिस्री ने कहा कि “India-China Relation को रफ्तार देने के लिए आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और हितों जैसे त्रिस्तरीय सूत्र को बनाए रखने की जरूरत है। चीन और भारत दोनों ही प्राचीन सभ्यताएं, प्रमुख विकासशील देश और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंध बनाए रखना बेहद जरुरी है।” विदेश सचिव ने यहां इशारों-इशारों में ही चीनी राष्ट्रपति की भूमिका पर सवाल उठाते हुए त्रिस्तरीय सूत्र बनाए रखने का सुझाव दे दिया है।