India-Sri Lanka Deal: अंदरखाने बड़ी रणनीति बनाते हुए भारत ने ड्रैगन को झटका सा दे दिया है। चीन अपने पिछलग्गू बने पाकिस्तान को बैकअप देता रहा और इधर भारत ने उसके साथ बड़ा खेल कर दिया है। इंडिया-श्रीलंका डील अपने देश के लिए मील का पत्थर साबित होगी और चीन के लिए कांटा भरा रास्ता तैयार करेगी। भारत ने सधी चाल चलते हुए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड यानी MDL के सहारे ने श्रीलंका में कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का प्लान किया है। इस India-Sri Lanka Deal से भारत को हिंद महासागर में एक मजबूत जगह मिलेगी और चीन के खिलाफ नए सिरे से मोर्चा खोलने का स्थान मिलेगा। श्रीलंका के साथ भारत की ये एक ऐसी डील है, जो निश्चित तौर पर China को चुभेगी। इसके पीछे क्या कारम है उसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे।
India-Sri Lanka Deal चीन के लिए बनेगा कांटा!
दरअसल, हिंद महासागर में चीन अपना आधिपत्य चाहता है। ऐसे में इंडिया-श्रीलंका डील के तहत यहां भारत की दखल बढ़ेगी जो निश्चित तौर पर चीन को चुभने वाली है। भारत की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड यानी MDL श्रीलंका की शिपयार्ड कंपनी के साथ डील करने का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में ये स्पष्ट है कि मझगांव डॉक की ये डील भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत करेगी जो कि चीनी रणनीतिक घुसपैठ के बीच बड़ा कदम है। India-Sri Lanka Deal के सहारे भारतीय नौसेना की दखल बढ़ने की पूरी संभावना है जिससे भारत की पैठ मजबूत होगी। MDL नई डील के तहत ओनोमिची डॉकयार्ड कंपनी लिमिटेड से नए शेयर खरीदेगा। इससे चर्चित CDPLC भारत के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स की सहायक कंपनी बन जाएगी। ऐसा होने के बाद भारतीय नौसेना का आधिपत्य बढ़ेगा और हिंद महासागर में भारत की पैठ मजबूत होगी, जो चीन के लिए झटका है।
पाकिस्तान को बैकअप दने में माहिर चीन को भारत का करारा जवाब!
कश्मीर में आतंकी हमले हुए और दर्जनों निर्दोष लोगों की जान गई। बावजूद इसके ड्रैगन अपने सहयोगी पाकिस्तान को बैकअप देता रहा। चाहें आर्थिक मदद देने की बात हो, या बैकडोर से विदेशी मंचों पर पाकिस्तान का मजबूत करना हो। China हर नापाक हरकतों में आतंक के आकाओं का साथ देता है। भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद जारी संघर्ष के दौरान इसकी बानगी दुनिया ने देख ली थी। यही वजह है कि MDL के सहारे हुई India-Sri Lanka Deal चीन को करारा जवाब बताई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि इस कदम से भारतीय नौसेना चीन के नापाक मंसूबों पर नजर रख सकेगी। इस डील से दुनिया के सबसे व्यस्त और भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री गलियारों में भारत का आधिपत्य बढ़ेगा जो शी जिनपिंग के चीन को खटक सकता है।