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MP News: स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही का गंभीर मामला आया सामने, सरकार ने 6 बच्चों में एचआईवी संक्रमण की जांच के लिए बनाया पैनल; जानें पूरी खबर

MP News: मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही सामने आई है। दूषित खून चढ़ाने की वजह से 6 बच्चे में एचआईवी संक्रमित हो गए। ऐसे में अब सरकार ने जांच के लिए पैनल का गठन किया है।

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MP News: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अगुवाई में भाजपा सरकार काफी अच्छा काम कर रही है। मगर फिलहाल एमपी में एक खबर ने सबको हिलाकर रख दिया है। ‘Business Standard’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सतना जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। एमपी के पूरे स्वास्थ्य विभाग में इसलिए ज्यादा हो-हल्ला मच रहा है, क्योंकि यह मामला लगभग 4 महीने से अधिक पुराना है। मगर अभी तक इसकी जांच नहीं हुई है। ऐसे में अब मध्य प्रदेश सरकार ने एक 6 लोगों की कमेटी गठित की है, जो इस मामले की तह तक जाकर जांच करेगी।

MP News: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही से एचआईवी पॉजिटिव हुए 6 बच्चे

रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के पब्लिक हेल्थ और मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के कमिश्नर तरुण राठी ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर जांच टीम के गठन की घोषणा की और उसे 7 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। वहीं, सतना के कलेक्टर सतीश कुमार एस ने बीते दिनों बताया कि ये इन्फेक्शन के मामले इस साल जनवरी और मई के बीच सामने आए हैं और सभी पीड़ितों का फिलहाल इलाज चल रहा है। सतना कलेक्टर ने कहा, “थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को रेगुलर ब्लड ट्रांसफ्यूजन मिल रहा था। रूटीन टेस्टिंग के दौरान उनमें से 6 एचआईवी पॉजिटिव पाए गए।”

जानिए क्या है पूरा मामला

एमपी के सतना, जबलपुर और कई अन्य जिला अस्पतालों में 12 से 15 साल के 6 बच्चों में दूषित खून चढ़ाने के शक के बाद जब टेस्ट किया गया, तो उसमें सभी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। साथ ही बताया गया है कि एक बच्चे के माता-पिता भी जांच में एचआईवी पॉजिटिव पाया गए हैं।
बताया गया है कि थैलेसीमिया से पीड़ित 6 बच्चों को दूषित खून चढ़ा दिया गया, जिससे वह एचआईवी पॉजिटिव हो गए। इस खबर के बाहर आते ही एमपी सरकार ने राज्य स्तरीय जांच के निर्देश दे दिए हैं। जानकारी के मुताबिक, जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। बताया गया है कि ब्लड बैंक ने बच्चों को खून चढ़ाने से पहले सही तरह से खून की जांच नहीं और सभी एसओपी का भी पालन नहीं हुआ।

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