Manmohan Singh vs Pranab Mukherjee: 10, जनपथ रोड और लुटियंस दिल्ली से जुड़े कई किस्से आज खंगाले जा रहे हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह उन किस्सों का केन्द्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के दुखद निधन के बाद देश में शोक की लहर है। इसी बीच देश की जनता दिवंगत नेता मनमोहन सिंह से जुड़े कई किस्से जानने और पढ़ने को आतुर है। ऐसा ही एक वाकया हम आपके लिए लेकर आए हैं जिसमें मनमोहन सिंह को पीएम क्यों चुना गया था, उन संभावित वजहों पर चर्चा होगी। मनमोहन सिंह, पीएम पद की रेस में Pranab Mukherjee से आगे कैसे निकले थे, चर्चा इस बात पर भी होगी। Congress शीर्ष नेतृत्व ने Manmohan Singh को देश की कमान और यूपीए का नेता कैसे चुना इस बात पर भी चर्चा करने की कोशिश करेंगे।
वित्त मंत्री के रूप में Manmohan Singh का कार्यकाल!
भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का अहम योगदान रहा है। जब पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार (1991-1996) बनी थी, उस दौरान मनमोहन सिंह को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। उस दौर में देश महंगाई और घटते विदेशी मुद्रा भंडार जैसी परेशानियों से जूझ रहा था। Manmohan Singh तब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर ज़ोर देते हुए आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार बने। उनकी नीति उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के सहारे निजी निवेश का रास्ता खुला और देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी। वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने अपना लोहा मनवा दिया जिसके कारण भविष्य में उनका कद बढ़ सका।
Manmohan Singh vs Pranab Mukherjee Congress शीर्ष नेतृत्व से किसकी नजदीकी?
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर अपनी किताब ‘एक जिंदगी काफी नहीं’ में बड़ी बारीकी से मनमोहन सिंह और कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के बीच बेहतरीन संबंध का जिक्र करते हैं। कुलदीप नैयर ने बताया है कि Manmohan Singh ने अपनी शैली के बदौलत खुद को वित्त मंत्री के रूप में साबित करते हुए कांग्रेस हाईकमान से नजदीकी बना ली थी। वहीं दूसरी तरफ, प्रणव मुखर्जी के कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से उतने अच्छे संबंध नहीं थे। Pranab Mukherjee पूर्व में राजीव गांधी से हुई खटक के बाद पार्टी छोड़ चुके थे। ऐसे में पीएम पद के लिए उनकी दावेदारी मनमोहन सिंह की तुलना में कमजोर थी।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की स्वच्छ छवि कैसे बनी थी ढ़ाल?
पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने देश के समक्ष अपना लोहा मनवा दिया था। पीएमओ को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा की मानें तो Manmohan Singh ने LPG नीति को लागू करने से पहले नरसिम्हा राव को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। यदि उनकी नीति असफल होती तो उनका इस्तीफा स्वीकार हो सकता था। मनमोहन सिंह का ये कदम उनकी स्वच्छ छवि को दर्शाता है जो आगे चल कर ढ़ाल के रूप में सामने आया और वे Pranab Mukherjee समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को पछाड़ कर देश के प्रधानमंत्री बने।
डॉ. मनमोहन सिंह की शिक्षा-दीक्षा!
देश की कमान सौंपने के लिए वर्ष 2004 में एक योग्य नेता की तलाश थी, तब मनमोहन सिंह का नाम सामने आना बड़ा अप्रत्याशित था। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यहां मनमोहन सिंह का नाम चुने जाने के पीछे उनकी शिक्षा-दीक्षा और पूर्व में किए गए उनके कार्य ढ़ाल बने और उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का नेता चुना गया। Manmohan Singh ने प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच. डी. और फिर आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के लिए भी काम किया और फिर वर्ल्ड बैंक और आरबीआई के गवर्नर तक बने। शैक्षणिक योग्यता के बल पर ही उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई और अंतत: वे देश के पीएम बने।