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Bangladesh में हिंदू नेता की हत्या के बाद मोदी सरकार का बदला अंदाज! Muhammad Yunus को जारी की स्पष्ट चेतावनी; नहीं संभले तो…

भारत ने साफ तौर पर Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही है। तल्ख भाव में भारत सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि अंतरिम सरकार सामने से आकर मोर्चा संभाले और हिंदुओं के साथ अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चत करे।

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Muhammad Yunus
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Muhammad Yunus: हिंसा की आग किस कदर अपना असर फैलाती है, इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। ताजा उदाहरण बांग्लादेश में हुई हिंसा और उसके बाद अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी लगातार अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाने पर लेकर मोहम्मद यूनुस की साख कमजोर कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज भारत ने भी हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय की हत्या के बाद अपना सख्त रुख दर्शाया है। भारत की ओर से तल्ख भाव में स्पष्ट किया है कि Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार बिना किसी बहाना और भेदभाव के हिंदुओं की रक्षा सुनिश्चित करे। मोदी सरकार के बदले अंदाज से संकेत मिल रहे हैं कि यदि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के रवैये में बदलाव नहीं आया, तो आगे खैर नहीं है।

नेता की हत्या के बाद मोदी सरकार ने Muhammad Yunus को सुनाई खरी-खोटी!

तल्ख भाव के लिए छाप छोड़ चुके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बकायदा बयान जारी कर बांग्लादेश की आलोचना की है। मोहम्मद यूनुस का नाम लिए बगैर इशारों ही इशारों में भारत ने अंतरिम सरकार पर निशाना साधा है। रणधीर जायसवाल ने कहा है कि “बांग्लादेश में हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और उनकी हत्या पर दुख व्यक्त किया है। हत्या अंतरिम सरकार के हिंदू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के पैटर्न का अनुसरण करती है, घटनाओं के अपराधी दंड से बचकर घूमते हैं। हम इस घटना की निंदा करते हैं। एक बार फिर हम अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह बिना किसी बहाने या भेदभाव के हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करे।” Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार के लिए भारत का ये तल्ख रुख संकेत देता है कि देश हिंदुओं की हत्या पर खामोश नहीं रहेगा।

बांग्लादेश के प्रति भारत के बदलते मिजाज के खास मायने

मोहम्मद यूनुस की मुखालफत ये दर्शाता है कि भारत का रुख अब कट्टरपंथियों के लिए पूरी तरह से बदल चुका है। यदि कोई ये सोचे कि वार्तालाप के जरिए चीजें बेहतर होंगी, तो ये अब संभव नहीं नजर आ रहा है। यदि भारत-बांग्लादेश के संबंधों को पुन: पटरी पर लाना है तो Muhammad Yunus को अपनी नीतियों में बदलाव करना ही पड़ेगा। सबसे पहले उन्हें सामने आकर अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। अन्यथा भारत का ये बदला मिजाज संकेत हैं कि यदि बांग्लादेश नहीं संभला, तो संबंध पटरी पर नहीं लौटेंगे। इसके अलावा भारत बांग्लादेश को अन्य कई मोर्चों पर भी घेर सकता है जिससे अंतरिम सरकार को दीर्घकालिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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