Jagdeep Dhankhar: तमाम अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रमों की गवाह रही भारतीय सियासत में एक और बड़ा धमाका हुआ है। मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही पहले दिन उपराष्ट्रपति व राज्यसभा से सभापति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सामने आया है। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर कई तरह की कयासबाजी चल रही है और इसके तार कई अन्य घटनाक्रमों से भी जोड़े जा रहे हैं। मसलन Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे से पहले सीएम योगी की पीएम मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकात हुई थी। उससे ठीक पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत ने राजनीति से रिटायरमेंट को लेकर एक तय उम्र सीमा का जिक्र किया था। ये सारे घटनाक्रम कुछ ही दिनों के अंतराल पर सामने आए और अंतत: पूरी तरह से स्वस्थ्य नजर आ रहे जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा पेश किया। यही वजह है कि कुछ बड़े सियासी घटनाक्रम को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे से देश की सियासत में उथल-पुथल!
औचक निर्णय लेकर जगदीप धनखड़ ने सभी को चौंका दिया है। 21 जुलाई को पूरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही का हिस्सा बनने के बाद देर शाम उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सामने आ गया। इस घटनाक्रम ने भारत की सियासत में कयासों की बाढ़ ला दी है। Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे से ठीक पूर्व सीएम योगी चॉप लीडरशीप से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। इसमें पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की मुलाकात हुई थी। इस दौरान कुछ बड़ा होने के कयास लगाए गए।
उससे पूर्व नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान RSS चीफ मोहन भागवत ने 75 वर्ष की आयु में सियासत से रिटायरमेंट की बात कर दी। इसको लेकर भी खूब कयासों का दौर चला। किसी ने मोहन भागवत की टिप्पणी के तार पीएम मोदी से जोड़े, तो किसी के लिए ये सीएम योगी का रास्ता साफ करने का स्टैंड था। हालांकि, अभी इन तमाम मुद्दों पर चर्चा चल ही रही थी कि मानसून सत्र की कार्यवाही के बीच ही Jagdeep Dhankhar ने इस्तीफा भेज दिया। अब सभी तरह की चर्चाओं पर विराम है। सिर्फ और सिर्फ जगदीप धनखड़ सुर्खियों का विषय बने हैं और विपक्ष केन्द्र को कटघरे में खड़ा कर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
देश की सियासत में कुछ बड़े घटनाक्रम का संकेत तो नहीं?
इसको लेकर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस सवाल का पुख्ता जवाब भविष्य के गर्भ में है। हां ये जरूर है कि Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा देना एक अप्रत्याशित घटनाक्रम है। जो शख्स मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होने के साथ पूरे दिन सदन में रहा हो, उसे औचक शाम को अपने स्वास्थ्य की चिंता हो जाए और इस्तीफा पत्र जारी करना पड़े। ये सब कुछ थोड़ा अजीब सा है। यही वजह है कि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सामान्य घटनाक्रम से इतर कुछ विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है।
कहीं नीतीश कुमार को बिहार से दिल्ली लाने की बात चल रही है, तो कहीं राधा मोहन सिंह या पूर्वांचल से किसी चेहरे को उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा है। हालांकि, इन तमाम कयासों से इतर ये संकेत मिल रहे हैं कि देश की सियासत में कुछ बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकता है। इसके लिए तय समय का इंतजार करना ही एकमात्र विकल्प है जिसके पश्चात दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा।