Sawalkote Hydro Project: पड़ोसी मुल्क को फिर एक बार गहरा सदमा लगा है। दरअसल, पीएम शहबाज शरीफ और उनके खास शागिर्द आसिम मुनीर मुंह ताकते रह गए और भारत ने सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। चार दशक पुराने प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिए जाने के बाद पाकिस्तान सदमे की स्थिति में है। रणनीतिक तौर पर भारत ने सधी चाल चलते हुए सिंधु जल संधि निरस्त करने के बाद पाकिस्तान पर ये दूसरा वॉटर स्ट्राइक किया है। Sawalkote Hydro Project के अमल में आने के बाद भारत चिनाब नदी के पानी के प्राकृतिक प्रवाह का इस्तेमाल कर बिजली पैदा करेगा। यह एक रन-ऑफ-रिवर परियोजना है, जो भारत को रणनीतिक तौर पर और मजबूत बनाकर, पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर करेगी।
चार दशक पुराने Sawalkote Hydro Project को भारत सरकार ने दी हरी झंडी
सधी हुई चाल चलते हुए भारत ने अहम मौके पर सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इस नए प्रोजेक्ट के तहत भारत चिनाब नदी के पानी के प्रवाह का इस्तेमाल कर बिजली पैदा करेगा। इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए जम्मू- कश्मीर के रामबन जिले के सिधु गांव के पास जगह को चुना गया है। Sawalkote Hydro Project की नींव आज से करीब 40 वर्ष पहले रखी गई थी। हालांकि, सिंधु जल संधि के कारण पाकिस्तान अड़चन डालकर इस प्रोजेक्ट को प्रभावित करता था।
अंतत: अब चार दशकों बाद सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट की फाइल झाड़-फूंककर निकाली गई है। सिंधु जल संधि रद्द करने के बाद पाकिस्तान पर भारत ने एक और वॉटर स्ट्राइक किया है। भारत सरकार द्वारा Sawalkote Hydro Project के लिए टेंडर प्रॉसेस शुरू करने के बाद पाकिस्तान की बेचैनी अंदरखाने और बढ़ गई है। पहलगाम हमले के बाद पहले ऑपरेशन सिंदूर, फिर सिंधु जल संधि रद्द होना और तमाम प्रतिबंधों का सामना कर रहा पड़ोसी मुल्क एक बार फिर बेचैन हो उठा है।
भारत के लिए मील का पत्थर, तो पाकिस्तान के लिए झटका है सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट
बहुप्रतिक्षित सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। निकट भविष्य में ये परियोजना भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इस हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना की मदद से भारत जम्मू-कश्मीर में हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगा। इससे जम्मू-कश्मीर में विद्युत आपूर्ति को रफ्तार दी जा सकेगी और केन्द्र शासित प्रदेश का हुलिया बदलेगा।
वहीं पाकिस्तान के लिए Sawalkote Hydro Project बड़े झटके के समान है। सिंधु जल संधि के तहत जिस चिनाब नदी के पानी पर पाकिस्तान का अधिकार था। उसी नदी के प्राकृतिक प्रवाह का इस्तेमाल कर भारत अब बिजली पैदा करेगा। ऐसे में पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में चिनाब नदी के पानी से पूर्ण होने वाली जरुरतें अब बांधित होंगी और उस जल का इस्तेमाल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए होगा। ये पड़ोसी मुल्क के लिए एक बड़े झटके के समान है जिससे उभर पाना शायद नामुमकिन है।