Sonia Gandhi: नागरिक एक बयान मात्र से ही पूरे समीकरण और रणनीति को पकड़ अपनी सूझ-बूझ से निर्णय लेते हैं। सोनिया गांधी की एक राजनीतिक बयानबाजी के संदर्भ में भी इसी कड़ी में चर्चा छिड़ी है। बयानों को देखते हुए ही नागरिक किसी राजनीतिक दल का उत्थान करते हैं, तो किसी का नेस्तनाबूद होना तय हो जाता है। यही वजह है कि Sonia Gandhi द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘बेचारी’ शब्द का इस्तेमाल करना कांग्रेस के लिए भारी पड़ता नजर आ रहा है। बजट सत्र 2025 की शुरुआत के साथ ही सोनिया गांधी के बयान से सियासी पारा भी चढ़ गया है। सवाल है कि सोशल मीडिया से लेकर अन्य विभिन्न प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस हो रही आलोचना से Rahul Gandhi कैसे निपटेंगे?
Sonia Gandhi के एक बयान से बुरा फंसी Congress
संसद के संयुक्त सत्र के बाद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की मौजूदगी में सोनिया गांधी ने कहा कि “राष्ट्रपति मुश्किल से बोल पा रही थीं, बेचारी।” उनके इस एक बयान के बाद बीजेपी के तमाम आला नेताओं ने हमला बोल दिया। जेपी नड्डा, अमित मालवीया, संबित पात्रा, गोरव भाटिया, हरदीप सिंह पुरी, किरन रिजिजू समेत अन्य कई नेताओं ने Sonia Gandhi के बयान को आदिवासी समाज का अपमान बताया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो Budget Session शुरू होने के साथ सोनिया गांधी द्वारा की गई इस टिप्पणी से कांग्रेस घिरती नजर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि सदन की कार्यवाही के दौरान BJP इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर सकती है।
प्रियंका गांधी ने अपनी मां का बचाव करते हुए कहा है कि “मेरी मां 70-80 साल की बुजुर्ग महिला हैं। वह भारत के राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करती है। मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया द्वारा इस तरह की बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है। वे दोनों दो सम्मानित लोग हैं और हमसे उम्र में बड़े हैं। भाजपा को सबसे पहले माफी मांगनी चाहिए।”
सोनिया गांधी के बयान पर छिड़ी चर्चा के बीच कैसे डैमेज कंट्रोल करेंगे Rahul Gandhi?
बड़ी चुनौती राहुल गांधी के समक्ष आ गई है। सवाल उठ रहे हैं कि Rahul Gandhi इस चुनौती से कैसे पार पाएंगे? ये स्पष्ट है कि BJP इस प्रकरण में आवाज को और बुलंद करेगी। फिलवक्त कांग्रेस तटस्थ की मुद्रा में Sonia Gandhi के बयान पर चुप्पी साधे नजर आ रही है। पार्टी की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि निकट भविष्य में राहुल गांधी व अन्य शीर्ष नेता इस चुनौती से उभरने के लिए क्या कदम उठाते हैं।