Bhagwant Mann: पंजाब की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को लेकर केंद्र सरकार संसद के आगामी विंटर सत्र में एक बिल लाने वाली थी। मगर अब केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ बिल वापस लेने और इसे पार्लियामेंट में न लाने का फैसला किया है। ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इस पर खुशी जताई है। सीएम मान ने अपनी एक्स यानी ट्विटर पोस्ट में लिखा, ‘मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ बिल वापस लेने और इसे पार्लियामेंट में न लाने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भी पंजाब से जुड़ा कोई भी फैसला पंजाब के लोगों से सलाह किए बिना नहीं लिया जाएगा।’
Bhagwant Mann सरकार ने जताया था कड़ा विरोध
गौरतलब है कि शनिवार को लोकसभा बुलेटिन में बताया गया था कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में केन्द्र सरकार प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) बिल ला रही है। इसके जरिए चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में शामिल किया जाएगा। हालांकि, इसे लेकर पंजाब की मान सरकार समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने विरोध जताया।
जानिए क्या है अनुच्छेद 240?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कि अनुच्छेद 240 के तहत राष्ट्रपति के नियमों को संसद के कानून जैसा ही प्रभाव प्राप्त होता है। ऐसे में सीधे तौर पर समझें, तो अगर इस विधेयक पर मुहर लगती, तो चंडीगढ़ का प्रशासनिक नियंत्रण लगभग पूरी तरह केंद्र सरकार के हाथों में चला जाता।
वहीं, बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की मंशा थी कि चंडीगढ़ को उन केंद्र शासित प्रदेशों जैसी स्थिति दी जाए, जहां विधानसभा नहीं होती या किसी वजह से निलंबित हो जाती है। इनमें अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और विशेष परिस्थितियों में पुडुचेरी शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने जारी किया बयान, स्पष्ट हुआ मामला
केंद्र सरकार के चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रस्ताव अभी भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। यह प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे को बदलने की कोशिश नहीं करता है, न ही इसका मकसद चंडीगढ़ और पंजाब या हरियाणा राज्यों के बीच पारंपरिक व्यवस्थाओं को बदलना है। चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए, सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ पूरी तरह से सलाह-मशविरा करने के बाद ही कोई सही फैसला लिया जाएगा। इस मामले पर किसी चिंता की कोई ज़रूरत नहीं है। केंद्र सरकार का संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र में इस बारे में कोई बिल लाने का कोई इरादा नहीं है।






