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Rajasthan: पुलवामा शहीद की वीरांगनाओं के मसले पर गहलोत सरकार ने दिया ये जवाब, जानिए क्या कहा

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Rajasthan: 2019 में पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की वीरांगनाओं के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार और उनकी मागों को लेकर भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को आज धरने पर बैठे 7 दिन हो गए हैं। इसी मामले में आज राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने सफाई देते हुए कहा कि राजस्थान के 3 सीआरपीएफ जवानों की वीरांगनाओं और उनके आश्रितों को राज्य के सरकारी नियमानुसार सरकार सहायता दे चुकी है। इसके बावजूद जिन मांगों को उठाया जा रहा है। उनमें से कई मांगों का प्रावधान राज्य नियमावली में नहीं है।

 जानें क्या है पूरा मामला

ज्ञात हो पिछले करीब एक हफ्ते से 3 शहीद सीआरपीएफ की वीरांगनाओं के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार और उनकी मागों को लेकर धरने पर बैठे सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने कल रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की थी। जिसमें उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से 4 साल बीत जाने के बाद भी अपने वादे को पूरा नहीं करने के कारण इच्छा मृत्यु की मांग कर रही हैं। इससे पहले वीरांगनाओं ने भी शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात कर अपनी मांगों का एक ज्ञापन सोंपा था। जिसके माध्यम से सीएम अशोक गहलोत से अपने वादे पूरे करने की अपील की थी।

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गहलोत सरकार की सफाई

गहलोत सरकार ने इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमने वीरांगनाओं, भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए हमेशा पूरी संवेदनशीलता के साथ काम किया है। सरकार नियामानुसार सहायता कर चुकी है। सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक के मुताबिक 2019 पुलवामा हमले के तीन शहीद रोहिताश लांबा, हेमराज मीणा तथा जीतराम गुर्जर की वीरांगनाओं की तरफ से अब जो मांगें रखी जा रही हैं। वह नियमों में नहीं हैं। जबकि राज्य  सरकार शहीदों की वीरांगनाओं को 50 लाख नकद ऱाशि के साथ उनके आश्रित माता-पिता को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दे चुकी है इसके साथ ही वीरांगनाओं को राजस्थान रोडवेज से यात्रा करने का फ्री पास भी जारी कर दिए गए हैं। दूसरी ओर नियमों के तहत तीनों शहीदों के एक बच्चे के लिए सरकारी नौकरी में नियोजन का अधिकार भी सुरक्षित कर दिया है। दो शहीदों के नाम से स्कूल का नामकरण हो चुका है और एक के नाम की प्रक्रिया जारी है।

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