रविवार, मई 12, 2024
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Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- पर्सनल लॉ में दखल दिए बिना बदलाव कैसे करें?

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Supreme Court: दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्यों की प्रचलित उस प्रथा पर कड़ी आपत्ति जताई हैं। जिसमें अब वादकारियों से उनकी जाति या धर्म का उल्लेख नहीं करना होगा।

Same Sex Marriage: Supreme Court ने केंद्र से पूछा- ‘समलैंगिक कपल की शादी को कानूनी मान्यता दिए बिना क्या अधिकार दे सकते हैं’

समलैंगिक विवाह केस को कानूनी मान्यता के लिए हो रही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में आज 6 वाँ दिन है। आज की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट को मानना पड़ा कि यह एक ऐसा गंभीर और संवेदनशील विषय है। जो पूरे समाज पर असर डालने वाला है। यह विषय संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है

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समलैंगिक विवाह मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का तीसरा दिन है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि देश के नागरिक होने के नाते उन्हें सम्मान तथा समानता से रहने का अधिकार मिलना चाहिए। हमने एसएमए को चुनौती दी है क्योंकि यह विषमलैंगिक के अलावा अन्य विवाहों को मान्यता नहीं देता। सरकार को स्पेशल मेरिज एक्ट में पति,पत्नी अथवा “जीवनसाथी” जोड़ने की आवश्यकता है।   

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समलैंगिक विवाह मामले में आज भी सुनवाई जारी रही। जहां केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ से आग्रह किया है कि इस मामले में सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को इस मामले की सुनवाई में एक पक्ष बनाया जाए।

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जोधपुर के अपने एक आश्रम में कथावाचक आसाराम बापू को नाबालिक से 2013 के रेप के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में कथावाचक आसाराम बापू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने एक पुलिस अधिकारी को गवाह के तौर पर हाईकोर्ट के समन के आदेश को रद्द कर दिया है।

Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट में आज भी समलैंगिक संबंधों पर सुनवाई का सिलसिला जारी रहा। सुनवाई के आज चौथे दिन याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील लूथरा गुप्ता ने सुनवाई में भाग लिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने आज इस बेहद संवेदनशील मामले में कई टिप्पणियां की है।

आज की कार्रवाई

आज सुबह शुरू हुई सुनवाई के बाद सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने आज याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलीलों की शुरूआत करते हुए..

मेनका– रिटेन सबमिशंस में केशवानंद भारती केस ही अपलोड किया गया है

सीजेआई चंद्रचूड़– उन्हें छोटा किया जा सकता है।

गीता लूथरा (याचिकाकर्ता वकील)– किसी समलैंगिक कपल की शादी इस वजह से अमान्य नहीं करार दी जा सकती, क्योंकि जिस देश से वो आए हैं वहां मान्य नहीं है। यह लैंगिग भेदभाव है।

गीता लूथरा ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि शादी एक जादुई शब्द है और इस जादू का असर पूरी दुनिया में है। इसका हमारे जीवन और सम्मान से सीधा संबंध है। उन्होंने कहा समलैंगिकों के शादी करने के अधिकार छीनना ठीक उसी तरह है जैसे महिलाओं से उनका मतदान का अधिकार छीन लेना।

सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर– केंद्र सरकार की तरफ से दावा है कि ब्रिटिश शासन से पहले भारत में समलैंगिक संबंध नहीं थे। जब कि ऐसा होता था और प्राचीन ग्रंथों में भी लिखा है।

मेनका गोस्वामी– कोर्ट यह नहीं कह सकती कि यहा संसद का मामला है। संसद संविधान से है। आर्टिकल 32 के तहत समलैंगिकों को अदालत आने का अधिकार है।

सीजेआई चंद्रचूड़-यदि हम स्पेशल मैरिज एक्ट में मैन और वुमैन की जगह पर्सन कर दें और पति-पत्नी की जगह स्पाउज कर दें तो क्या हम यहीं पर रुक जाएंगे ?

जस्टिस भट– हम पर्सनल लॉ में नहीं जाते क्यों कि यह बहुत कंटीला है, लेकिन हम इसके बाद कितने फॉलो-अप करेंगे….फिर अन्य कानूनों को भी नए सिरे से पारित करना पड़ेगा। कौन करेगा ? ये हमारा काम है।

सीजेआई– स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ के लिंक को खारिज नहीं किया जा सकता।

जस्टिस भट– हमें नहीं लगता कि संसद कोई कानून बनाएगा।

सीनियर एडवोकेट मेनका गोस्वामी– मुझे भी नहीं लगता ।

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Hemant Vatsalya
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Hemant Vatsalya Sharma DNP INDIA HINDI में Senior Content Writer के रूप में December 2022 से सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने Guru Jambeshwar University of Science and Technology HIsar (Haryana) से M.A. Mass Communication की डिग्री प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने Delhi University के SGTB Khalasa College से Web Journalism का सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया है। पिछले 13 वर्षों से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हैं।

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