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CM Yogi Adityanath: ‘धर्म हमारे जीवन पद्धति का हिस्सा है’, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में यूपी सीएम ने छात्रों को दी सीख

CM Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। सीएम योगी ने छात्रों को दी सीख देते हुए कहा कि धर्म हमारे जीवन पद्धति का हिस्सा है।

CM Yogi Adityanath
CM Yogi Adityanath, Photo Credit: Google

CM Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को तेज गति से विकसित राज्य बनाने की ओर अग्रसर हैं। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत मिशन के साथ विकसित उत्तर प्रदेश अभियान को भी जोड़ दिया है। योगी सरकार अपने संकल्प को पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रही है। इसी बीच सीएम योगी लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस दौरान प्रदेश के सीएम ने छात्रों को बड़ी सीख दी।

CM Yogi Adityanath ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को दी यह सीख

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में कहा, ‘सत्य बोलना और धर्म का आचरण करना, भारत की संसद हो या न्यायापालिका हो, इसी भाव के साथ हम सबको अपने कर्तव्यों के प्रति सभी को आगाह करती है। धर्म हमारे जीवन पद्धति का हिस्सा है। उपासना सबकी अलग-अलग होगी, वो आस्था का विषय है। लेकिन जो हमारी कर्तव्यों के प्रति लगातार प्रेरित कर सके, वो दीक्षा उपदेश यहां पर आप सबने प्राप्त किया है।’

न्यायिक व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उतनी ही आसानी होगी- सीएम योगी आदित्यनाथ

लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, हम सबके लिए यह जानना बहुत आवश्यक है कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था का क्या योगदान है? और मैं हमेशा इस बात को मानता हूं कि न्यायिक व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उतनी ही आसानी होगी।

सुशासन के उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिसे आप प्राचीन काल में राम राज्य कहते थे। जहां पर किसी भी प्रकार का भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं, उसकी योग्यता और उसकी क्षमता और समाज के प्रत्येक तबके को समान रूप से व्यवस्था का हिस्सा बनने में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न खड़ी हो, उस अवधारणा को सुशासन के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। उसी को ध्यान में रखते हुए आज हम सब लोगों ने इस व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया है।

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