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Kedarnath Yatra 2023: खच्चरों के साथ किया क्रूरता तो होगी जेल! इस अधिनियम के तहत की जाएगी कार्रवाई

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Kedarnath Yatra 2023: उत्तराखंड में केदारनाथ की यात्रा 25 अप्रैल से शुरू हो रही है। ऐसे में इस यात्रा के प्रयोग में आने वाले खच्चरों के साथ किसी भी तरह का अमानवीय व्यवहार न हो इसको लेकर उत्तरखंड प्रशासन की तरफ से कड़े कदम उठाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इसके लिए एक निगरानी दल का गठन किया गया है। इसमें पुलिस के लोग साथ ही पशुपालन विभाग के लोगों को शामिल किया जाएगा। स्थानीय पुलिस प्रशासन भी समय – समय पर इसकी निगरानी करता रहेगा। ये लोग यह देखेंगे की केदारनाथ धाम की यात्रा के समय कहीं घोड़े-खच्चरों से यात्रा करने वाले लोग किसी भी प्रकार की क्रूरता तो नहीं कर रहे हैं। इसके साथ – साथ घोड़े-खच्चरों के मालिकों को भी इनका खास ध्यान रखने के लिए कहा गया है।

विशेष प्रशिक्षण के साथ निगरानी दल करेगा काम

घोड़े-खच्चरों का ध्यान रखने वाले निगरानी दल को खास तरह के प्रशिक्षण दिए जाएंगे। इस प्रशिक्षण को लेकर बताया गया है कि पशु कल्याण के लिए काफी समय से अपना योगदान देने वाली संस्था ‘पीपुल्स फॉर एनिमल्स’ को भी शामिल किया गया है साथ ही इसकी सदस्य गौरी मौलेखी भी निगरानी दल को प्रशिक्षण देते हुए दिखाई देंगी। रुद्रप्रयाग में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे ने इस निगरानी दल को लेकर कहा कि इन जानवरों के साथ संवेदनशीलता होनी चाहिए। यात्रा में लोगों के साथ – साथ इन जानवरों को भी किसी भी तरह की दिक्क्त न हो इसका भी खास ध्यान रखना है।

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पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे ने कही ये बात

रूद्र प्रयाग में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे चारधाम यात्रा को लेकर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के समय पशुओं के साथ किसी भी तरह की क्रूरता होने पर इसके संचालक या मालिक के विरुद्ध में पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। पशु क्रूरता के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए गौरी मौलेखी ने कहा है कि घायल कमजोर पशु पर बोझ लादना, पशुओं से लगातार काम करवाना साथ ही उन्हें समय – समय पर पानी न देने ये सभी चीजें पशु क्रूरता के नियम के अंतर्गत आती है।

ऐसे में इस साल यात्रा के समय साँचल इन बातों का विशेष रूप से ध्यान देंगे। पिछले साल बताया गया था कि चारधाम यात्रा के समय में कई घोड़े और खच्चरों की मौत हो गई थी। पशुओं के मरने को लेकर ये जानकारी दी गई थी की कोविड काल के बाद यात्रा शुरू होने से संचालकों ने बिना आराम दिए इनसे काम करवाया इसकी वजह से ही इनकी मृत्यु हुई।

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