Uttarakhand News: हाल ही में उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बना है जहां UCC यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया गया। इसी बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट में लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधानों को सामने रखा गया था, जिसपर चीफ जस्टिस जी नरेंद्र ने एक सवाल पूछा कि अगर लिव इन में बच्चा पैदा होता है तो उसका भविष्य क्या होगा, वहीं इसका जवाब देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका पर जवाब देने के लिए 6 हफ्ते का समय मांगा। चलिए आपको बताते है कि अगर लिव इन में कोई बच्चा पैदा होता है तो उसका भविष्य क्या होगा।
लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चे का भविष्य क्या?
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू यसीसी कानून के तहत, लिव-इन रिलेशन में रह रहे कपल्स को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। अगर कोई कपल्स रजिस्ट्रेशन नहीं कराता तो उसपर कानूनी कार्रवाई और जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर लिव इन रिलेशनशिप के दौरान कोई बच्चा पैदा हो जाता है तो उसका भविष्य क्यो होगा? तो हम आपको बता दें कि यूसीसी कानून के तहत कानूनी तौर पर बच्चे को लीगल माना जाएगा। यानि नवजात को वह सभी अधिक मिलेंगे जो शादी के बाद हुए बच्चे को मिलता है।
माता -पिता के अलग होने के बाद कैसे होगा नवजात का पालन पोषण – Uttarakhand News
गौरतलब है कि यूसीसी कानून के तहत लिव इन रिलेशनशिप में अगर बच्चा पैदा हो जाता है और किसी कारण से महिला-पुरूष के बीच ब्रेकअप हो जाता है तो तो नवजात का पालन पोषण कैसे होगा। कानून के तहत अगर ऐसा होता है तो कोर्ट में नवजात की मां गुजारा भत्ता के लिए मांग कर सकती है, इसके अलावा ब्रेकअप की भी जानकारी भी रजिस्ट्रार कार्यालय को देनी होगी। मालूम हो कि इसी को लेकर उत्तराखंड में एक याचिका दायर की गई थी,
जिसपर चीफ जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस आशीष नैथानी की बेंच ने सुनवाई की थी। इस दौरान दोनों ने लिव इन रिलेशनशिप की कई खामियां गिनवाई, जिसका जवाब देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका पर जवाब देने के लिए 6 हफ्ते का समय मांगा (Uttarakhand News)।