Nitish Kumar: सुगबुगाहट, अटकलें और तमाम तरह की कयासबाजियों को जन्म दे रही निशांत कुमार की डेब्यू। दरअसल, बिहार में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से जुड़ी फेहरिस्त में निशांत कुमार का नाम भी जल्द जुड़ सकता है। तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, चिराग पासवान, संतोष सुमन के बाद अब नीतीश कुमार के पुत्र की डेब्यू भी सुर्खियां बटोर रही है। केन्द्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के बाद तेजस्वी यादव ने भी मुखर तौर पर Nitish Kumar के पुत्र निशांत का स्वागत किया है। Nishant Kumar की पॉलिटिकल डेब्यू को लेकर तेज हुई अटकलों के बीच नीतीश कुमार की चुप्पी सभी को काट रही है। JDU के कई नेता जहां निशांत कुमार का स्वागत करने को आतुर हैं, वहीं सीएम नीतीश कुमार इसको लेकर कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। इसके मायने क्या हैं, क्या परिवारवाद की राजनीति को रफ्तार मिलेगी? इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की जाएगी।
क्या ‘परिवारवाद’ की राजनीति को रफ्तार देंगे Nitish Kumar?
लालू यादव, राम विलास पासवान और जीतनराम मांझी के बाद एक और नेता अपनी अगली पीढ़ी के सियासी पदार्पण की कोशिश में है। नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। दावा कियाजा रहा है उन्होंने अपने पुत्र निशांत कुमार को सक्रिय रहने और आगामी चुनाव की तैयारियों में जुटने को कहा है। हालांकि, इसको लेकर आधिकारिक रूप से सीएम Nitish Kumar ने कोई बयान नहीं दिया है। निशांत कुमार बिहार के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय नजर आ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव 2025 में उनका सियासी पदार्पण हो सकता है। हालांकि, अभी सबकी नजरें अभी सीएम नीतीश कुमार पर टिकी हैं कि वे अंतिम फैसला क्या लेते हैं।
निशांत कुमार के सियासी पदार्पण पर क्या बोले Tejashwi Yadav?
बीजेपी पर तंज कसते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि “वह हमारे भाई हैं। मैं चाहता हूं कि वह जल्द से जल्द राजनीति में शामिल हों, अन्यथा भाजपा शरद यादव द्वारा बनाई गई पार्टी जदयू को खत्म कर देगी। हम राजनीति में इसलिए नहीं आए क्योंकि हमारे माता-पिता ने हमें ऐसा करने के लिए कहा था, बल्कि इसलिए कि बिहार के लोगों और हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को इसकी जरूरत थी।” वहीं जीतनराम मांझी ने भी बीते दिनों मुखर तौर पर Nitish Kumar के पुत्र के सियासी पदार्पण को स्वागत योग्य कदम बताया था। फिलवक्त, बिहार का समीकरण बदला नजर आ रहा है और निगाहें नीतीश कुमार के अगली चाल पर टिकी हैं। अब देखना होगा कि निकट भविष्य में JDU की कमान किसके हाथों सौंपी जाती है।