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Hartalika Teej 2023: आज बन रहा है रवि और इंद्र का विशेष संयोग, इन खास मंत्रों के साथ शुभ मुहूर्त में करें पूजा

इस दिन माता गौरा के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है जो इस दिन को और भी खास बना देता है। वहीं सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं 24 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं। इस साल यह दिन काफी शुभ संकेत लेकर आया है, आइए हरतालिक की पूजा और शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं.

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Hartalika Teej 2023:
Hartalika Teej 2023:

Hartalika Teej 2023: आज पूरे देश में हरतालिका का व्रत रखा जा रहा है, इस बार सोमवार को पड़ने से इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। बता दें कि भाद्रपद माह की तृतीया तिथि को हरतलिका का पर्व मनाया जाता हैं। इस दिन माता गौरा के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है जो इस दिन को और भी खास बना देता है। वहीं सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं 24 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं। इस साल यह दिन काफी शुभ संकेत लेकर आया है, आइए हरतालिक की पूजा और शुभ मुहूर्त के बारे में जान लेते हैं।

ये है पूजा का शुभ मुहूर्त

बता दें कि हरतालिक का पावन व्रत सुहागन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां दोनों ही रहती हैं, पूरा दिन कठिन जप तप और निर्जला उपवास रखना पड़ता है। इस बार रवि और इंद्र योग भी बन रहा है जिसमें पूजा करना काफी शुभ रहने वाला है। यह तिथि 17 सितंबर से सुबह 11 : 8 से शुरू हो चुकी है वहीं यह 18 सितंबर को 12:40 मिनट तक रहने वाली है इस बीच प्रदोष काल में व सुबह 6 बजे से शाम 8:24 बजे तक कभी भी पूजा की जा सकती है। रवि और इंद्र का योग बब्बी के चलते ये और भी ज्यादा फलदायी रहने वाला है।

इन मंत्रों के जाप से मिलेगा अखंड सौभाग्य

वहीं इस बार हरतालिका तीज पर सोमवार है और यह दिन शिव जी को भी बेहद प्रिय है इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इस पावन दिन पर विधि विधान से पूजा करके सौभाग्य के वरदान की प्राप्ति की जा सकती है, साथ ही बार खास संयोग भी बन रहा है जोकि कई सालों के बाद आया है ऐसे में शिव गौरा का आशीर्वाद पाने का इससे बेहतर मौका और नहीं हो सकता है साथ ही इस पूरे दिन ओम नमः शिवाय, ओम पशुपतये नमः, ओम उमाये नमः और ऑन पर्वत्तये नमः आदि मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है।

हरतालिका की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती राजा हिमावन की पुत्री थी जो बचपन से ही शंकर जी की तन मन धन से पूजा करती थी मगर जल्दी उन्हें इस बात का आभास हो गया की शिव प्राप्ति के लिए उन्हें ज्ञान और साधना भी करनी होगी। इसके बाद उन्हें कठिन तप करना शुरू कर दिया जिसके प्रभाव से आखिरकार उन्हें वर के रूप में भोलेनाथ मिले। हरतालिका का व्रत उसी त्याग और तपस्या का ही प्रतीक है जिसे औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं।

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