बुधवार, मई 8, 2024
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Holi Festival: लठ्मार होली से भी ज्यादा स्पेशल है लड्डू होली, जानिए कब से शुरु हुई ये परंपरा

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शनिवार को इंदौर के मशहूर बजरबट्टू सम्मेलन में भाजपा के चर्चित नेता कैलाश विजयवर्गीय एक अनोखे अंदाज में नजर आए। हर साल होली के चौथे दिन रंगपंचमी के दिन हास्य कवियों के मंच ‘बजरबट्टू सम्मेलन’ आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन को सफल बनाने में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का बहुत बड़ा योगदान है। हर साल की तरह इस बार भी वो मशहूर कॉमिक करेक्टर चाचा चौधरी के अवतार में पहुंचे। जिसमें उनके साथ साबू के वेश में एक और एमपी भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती भी पहुंचे थे।

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होली का त्योहार पूरे देश में 8 मार्च को धूम-धाम से मनाया जाता है। वहीं होली से पहले होलिका दहन की पूजा की जाती है। इसमें थाली का विशेष महत्व है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि थाली में किन चीजों को शामिल करें।

Holi Festival: देश में होली के त्योहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में इस रंग के खास त्योहार को कई अंदाज में खेला जाता है। भारत में इस बार 8 मार्च को होली का रंगोत्सव मनाया जाएगा। देश में कई स्थानों की होली खास है, मगर एक स्थान ऐसा है जहां की होली काफी अलग और खास है।

लड्डू होली के बारे में आप जानते हैं

उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले वृंदावन, मथुरा, बरसाना और गोकुल की होली तो आपने देखी होगी, मगर शायद आपने लड्डू होली के बारे में नहीं सुना होगा। लड्डू होली एक खास तरह की होली है, जिसमें दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और इसका आनंद उठाते हैं तो चलिए जानते हैं कि क्या है इसकी खासियत और लड्डू होली में क्या अलग होता है।

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धूम-धाम से मनाई जाती है लड्डू होली

मालूम हो कि ब्रज की होली की धूम काफी अधिक दिनों तक चलती है। इस दौरान फूलों की होली, लठ्मार होली और लड्डू होली का आयोजन किया जाता है। आपको जानकार हैरानी हो रही है कि लड्डू होली भी खेली जाती है। आपने लड्डू को खाए ही होंगे मगर यहां पर लड्डू के साथ होली खेली जाती है। इस दौरान लोग एक-दूसरे पर लड्डू फेंके जाते हैं। बरसाना में लठ्ठमार होली के एक दिन पहले लड्डू होली का आयोजन किया जाता है।

जानिए क्या है इसके पीछे की परंपरा

बताया जाता है कि इसके पीछे की वजह नंदगांव से बरसाने में होली खेलने के लिए आमंत्रण को स्वीकार करने की परंपरा से जुड़ा हुआ है। इस प्रथा को काफी समय पहले शुरू किया गया था, जिसका आज भी आयोजन किया जा रहा है। इस  होली का आयोजन देखने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं और लड्डू का प्रसाद पाकर को खुद को खुशनसीब समझते हैं।

काफी प्राचीन है लड्डू होली

कहा जाता है लड्डू होली का आयोजन द्वापर युग से ही किया जा रहा है। पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, बरसाने से होली खेलने के आमंत्रण लेकर सखियां नंदगाव गई थी। वहीं, कहा जाता है कि इस आमंत्रण को नंदबाबा ने स्वीकारते हुए अपने पुरोहितों के जरिए बरसाने भेजी। इसके बाद कहा जाता है कि बरसाने की गोपियों ने पुरोहितों के चेहरे पर गुलाल लगा दिया। मगर पुरोहितों के पास गुलाल नहीं था तो उन्होंने गोपियों के ऊपर लड्डू फेंकने शुरु कर दिए। इसके बाद ये एक खास प्रथा बन गई और एक-दूसरे पर लड्डू फेंककर होली का जश्न मनाया जाने लगा। ये खास और अलग प्रथा आज भी कायम है और इसे बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

प्रेम में झूमते हुए दिखाई देते हैं भक्त

होली को खास अंदाज में मनाने के लिए आज भी दूर-दूर से देसी और विदेशी पर्यटक आते हैं। लड्डू होली के दिन बरसाने से लेकर नंदगाव तक राधा-कृष्ण के भजन और गीत कानों को सुखद एहसास देते हैं। इस दिन राधारानी का मंदिर सुबह से लेकर शाम तक भक्तों से भरा हुआ रहता है। भक्त राधा के साथ कृष्ण प्रेम में झूमते हुए दिखाई देते हैं और एक-दूसरे पर लड्डू फेंककर इसका बढ़िया तरीके से जश्न मनाते हैं।

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Amit Mahajan
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अमित महाजन DNP India Hindi में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर काम कर रहे हैं.अमित ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में डिप्लोमा किया है. DNP India Hindi में वह राजनीति, बिजनेस, ऑटो और टेक बीट पर काफी समय से लिख रहे हैं. वह 3 सालों से कंटेंट की फील्ड में काम कर रहे हैं.

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