Manoj Bajpayee: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी अपनी आइकॉनिक फिल्म सत्या की री-रिलीज़ पर दर्शकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया से बेहद खुश हैं। 26 साल बाद भी यह क्राइम ड्रामा बड़े पर्दे पर वही जादू बिखेर रहा है, जिसने इसे हिंदी सिनेमा का मील का पत्थर बना दिया। सोमवार को मनोज बाजपेयी ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें पुणे के एक थिएटर में दर्शकों को फिल्म और इसके सुपरहिट गाने सपने में का आनंद लेते देखा जा सकता है।
आइए जानते हैं इस कल्ट क्लासिक की कहानी और इसके भारतीय सिनेमा पर पड़े गहरे प्रभाव के बारे में।
26 साल बाद भी ‘सत्या’ का जादू बरकरार
“26 साल बाद भी सत्या थिएटर भर रहा है और दिल जीत रहा है। राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित इस कल्ट क्लासिक को बड़े पर्दे पर देखना, इसकी भावनाएं, संगीत और यादगार कहानी, एक ऐसा अनुभव है जो कभी पुराना नहीं होता। धन्यवाद, @rgvzoomin, इस टाइमलेस मास्टरपीस को बनाने के लिए। और शानदार टीम को सलाम।”
बॉलीवुड में नई प्रतिभाओं को मंच दिया
सत्या ने न केवल दर्शकों बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी कई नई प्रतिभाओं को पहचान दिलाई। इसके साथ ही कई टेक्नीशियनों ने बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई। अनुराग कश्यप, जिन्होंने सौरभ शुक्ला के साथ फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी। मनोज बाजपेयी, जिनका किरदार भीकू म्हात्रे आज भी याद किया जाता है। संगीतकार संदीप चौटा, जिन्होंने फिल्म के साउंडट्रैक को एक अलग स्तर पर पहुंचाया।
यह फिल्म उस दौर में रिलीज़ हुई थी जब शाहरुख खान की कुछ कुछ होता है जैसी मेनस्ट्रीम फिल्में बॉक्स ऑफिस पर राज कर रही थीं। फिर भी, सत्या ने अपने यथार्थवादी अंदाज और क्रिटिकल अक्लेम से कल्ट स्टेटस हासिल किया।
राम गोपाल वर्मा का अनोखा दृष्टिकोण
सत्या से पहले राम गोपाल वर्मा ने हिंदी सिनेमा में अपनी शुरुआत रंगीला जैसी फिल्म से की थी। जहां रंगीला ने म्यूजिक और विजुअल स्टोरीटेलिंग में नई शुरुआत की, वहीं सत्या ने क्राइम जॉनर को नई परिभाषा दी।
राम गोपाल वर्मा ने न केवल हिंदी बल्कि तेलुगु सिनेमा में भी क्रांति लाने का काम किया। उनकी फिल्म शिवा (नागार्जुन के साथ) आज भी क्लासिक मानी जाती है।