Cancer and Diabetes Drugs: वर्ष 2014 में जब केंद्र की सत्ता में बड़ा फेरबदल हुआ था, तब एनडीए सरकार से लोगों की मुख्य अपेक्षाएं बढ़ती महंगाई को कम करने की थीं। रोटी, कपड़ा, मकान, दवा मूलभूत आवश्यकताओं में से एक थी। तब से लगातार देश में एनडीए की सरकार सत्ता में है। इसके बावजूद बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करना केंद्र की मोदी सरकार के लिए चुनौती रही है।
इसका मतलब यह नहीं है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश तरक्की की राह पर आगे नहीं बढ़ा है। बल्कि देश ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास की मिसाल कायम की है। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग आदि क्षेत्रों में सरकार के प्रयासों ने दुनिया में देश का नाम रोशन किया है।
इन सबके बीच दवाओं की बढ़ती कीमत को लेकर उठ रही आवाजें सरकार के लिए किसी खास चुनौती से कम नहीं हैं। हालांकि मोदी सरकार का प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जरूरतमंदों को सस्ती दवाइयां मुहैया करा रहा है। लेकिन Cancer and Diabetes Drugs के लिए यह काफी नहीं है।
क्या Cancer and Diabetes Drugs महंगी हो जाएंगी?
मालूम हो कि निजी समाचार चैनल इंडिया टुडे ने अपने सहयोगी प्रकाशन बिजनेस टुडे के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसमें कहा गया है कि सरकारी सूत्रों ने बिजनेस टुडे को बताया कि “Cancer and Diabetes Drugs, हृदय संबंधी बीमारियों और अन्य एंटीबायोटिक दवाओं सहित सरकार द्वारा नियंत्रित दवाएं जल्द ही महंगी हो जाएंगी।” रिपोर्ट में सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर लिखा गया है कि, “इन दवाओं की कीमतों में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।”
Cancer and Diabetes Drugs की कीमतों में संभावित वृद्धि को लेकर कौन चिंतित है?
आपको बता दें कि इन दवाइयों की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी से एक तरफ जहां दवा उद्योग को राहत मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ आम लोगों की जेब पर इसका काफी असर पड़ना तय है। क्योंकि देश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मध्यम वर्गीय परिवार या आर्थिक रूप से निम्न वर्ग के लोगों के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है।
क्योंकि, केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है। वो भी इन योजनाओं के तहत चिकित्सा सुविधा का लाभ सिर्फ निर्धारित अस्पतालों में ही उठाया जा सकता है।
जबकि, इनमें दवाओं को लेकर राशि की अवधि भी सीमित होती है। इसके बाद Cancer and Diabetes Drugs आदि के मामले में कीमत कई गुना ज्यादा होती है। ऐसे में दवाओं की कीमत में बढ़ोतरी की संभावना की खबर ने लोगों के मन में चिंता पैदा कर दी है।
Cancer and Diabetes Drugs की कीमतें कब बढ़ सकती हैं?
एक निजी समाचार चैनल बिजनेस टुडे से बात करते हुए ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि इन दवाओं की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी से दवा उद्योग को राहत मिलेगी क्योंकि कच्चे माल की लागत और अन्य खर्च बढ़ रहे हैं।
राजीव सिंघल आगे कहते हैं, “जहां तक व्यापार का सवाल है, बाजार में दवाओं की नई कीमतें देखने में दो से तीन महीने लगेंगे। इसके पीछे कारण यह है कि किसी भी समय बाजार में लगभग 90 दिनों की बिक्री योग्य दवा उपलब्ध होती है।” जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि दवाओं की कीमत बढ़ने का असर दो से तीन महीने बाद देखने को मिल सकता है।
307 फार्मा कंपनियों पर लगे नियमों के उल्लंघन का आरोप
वहीं, बिजनेस टुडे के मुताबिक, रसायन और उर्वरक पर संसद की स्थायी समिति के अध्ययन से इस बात की पुष्टि होती है कि फार्मा कंपनियों ने एक बार नहीं बल्कि कई बार दवाओं के मूल्य निर्धारण से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया है। साथ ही, वे स्वीकार्य मूल्य वृद्धि से अधिक कीमत बढ़ाती रही हैं।
आपको बता दें कि भारत की नियामक एजेंसी, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा 307 फार्मा कंपनियों को इस गतिविधि में शामिल पाया गया है, जिन्होंने दवाओं की कीमतों के लिए निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया है।