Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल वोट बैंक को लुभाने के लिए अलग-अलग रणनीति के साथ चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पोस्टर वॉर के बाद अब वीडियो वॉर के जरिए दिल्ली का मूड भांपने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली में मुख्य रूप से तीन राजनीतिक दल आमने-सामने हैं। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी अपने तार्किक तर्कों से भाजपा को चुनावी मैदान में घेर रही है। वहीं, BJP दिल्ली की हवा में सियासी वादों का पिटारा बिछा रही है।
इस बार चुनावी सियासी आरोप-प्रत्यारोप के दौर में भाजपा के किंगमेकर कहे जाने वाले देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में अजीबोगरीब एंट्री मारी है। अमित शाह ने ‘आप’ के प्रमुख नेता और पूर्व CM Arvind Kejriwal के घरों का तस्वीर रहित वीडियो एक्स पर जारी कर एक बार फिर दिल्ली का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। अब AAP ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है।
अमित शाह के पोस्ट से चुनाव आयोग पर उठे सवाल!
दरअसल, करीब 22 घंटे पहले देश के गृह मंत्री Amit Shah के ऑफिशियल एक्स हैंडल से एक वीडियो रहित पोस्ट किया गया था। इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा था, “सरकारी बंगला नहीं लेने वाले Arvind Kejriwal ने अपने लिए 51 करोड़ का शीशमहल बनवाया।” इस पर AAP ने पलटवार करते हुए इसे भाजपा का असंवैधानिक कृत्य बताया है।
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि, “5 फरवरी को Delhi Assembly Election 2025 के लिए मतदान होना है। ऐसे में कुछ दिन पहले इस तरह का झूठी पोस्टर और वीडियो वोट को प्रभावित करने की भाजपा की चाल है।” आम आदमी पार्टी ने भाजपा नेता पर सवाल उठाते हुए कहा- “बड़ा सवाल यह है कि क्या यह राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री के पद का दुरुपयोग नहीं है? क्या इससे संघीय व्यवस्था को चोट पहुंचाने वाला नहीं है?”
संवैधानिक मुद्दे पर AAP ने उठाए सवाल
गौरतलब है कि अमित शाह के इस पोस्ट पर आम आदमी पार्टी हमलावर नजर आ रही है। इसी कड़ी में Aam Aadmi Party ने कहा है कि, ”चुनाव आयोग के लिए भी सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना जरूरी है। केंद्रीय गृह मंत्री के पास दिल्ली पुलिस है। प्रशासनिक जरूरतों के लिए एलजी और केंद्रीय गृह मंत्रालय मिलकर काम करते हैं। ऐसे में ‘सीएम आवास’ का वीडियो जारी होना बेहद संवेदनशील मामला होना चाहिए। अगर ऐसा है कि यह वीडियो आधिकारिक तौर पर शूट नहीं किया गया है और केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया है (मान लीजिए कि बीजेपी नेता Amit Shah ने सीएम आवास का वीडियो जारी किया है), तो भी इसकी विश्वसनीयता की जांच चुनाव आयोग को करनी चाहिए। अगर यह आधिकारिक है तो यह और भी गंभीर मामला है। तब कई सवाल उठते हैं।”