US Deportation: हाल के दिनों में अमेरिकी सरकार अवैध प्रवासियों को लेकर सख्ती दिखा रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अवैध प्रवासियों को भारत भेजने का सिलसिला जारी है। एक तरफ इसे देश की आंतरिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए की गई कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस प्रक्रिया में आई कुछ तस्वीरों को लेकर लोगों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है। जिसमें निर्वासन के दौरान लोगों के हाथों में बेड़ियां और पैरों में जंजीर बांधना आलोचना का हिस्सा बन गया है।
हालांकि US Deportation से संबंधित वीडियो में किसी भी व्यक्ति का चेहरा नहीं दिखाया गया है। इन सबके बीच जहां अमेरिका Illegal Indian Immigrants के खिलाफ सख्ती दिखा रहा है, वहीं Donald Trump प्रशासन ने अब तक Illegal Chinese Immigrants के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। दावा किया जा रहा है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल के कुछ हफ्ते बीत जाने के बाद भी अवैध चीनी प्रवासियों को वापस नहीं भेजा गया है। अब ट्रंप प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि एक तरफ तो वो भारत को अपना दोस्त बताता है, चीन से प्रतिस्पर्धा की बात करता है, लेकिन उसकी हर कार्रवाई भारत के खिलाफ क्यों होती है?
US Deportation पर मीडिया की नज़र
निजी अखबार दैनिक भास्कर ने अपने ई-पोर्टल पर ‘स्पॉटलाइट’ के जरिए एक रिपोर्ट प्रसारित की है। जिसमें अवैध चीनी प्रवासियों के प्रति अमेरिका द्वारा दिखाई गई नरमी को लेकर कई चौंकाने वाली बातें कही गई हैं। यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट की रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया है कि साल 2024 तक 37,908 Illegal Chinese Immigrants को अमेरिका से बाहर निकाला जाना था। वहीं, US से वापस भेजे जाने वाले भारतीयों की संख्या 18000 बताई गई थी। ध्यान रहे कि दोनों देशों के बीच दोगुने का अंतर है। इसके बावजूद वित्त वर्ष 2024 में सिर्फ 517 अवैध प्रवासियों को अमेरिका से चीन भेजा गया।
आपको बता दें कि अमेरिका में ट्रंप 2.0 के कार्यकाल को अभी कुछ ही दिन बीते हैं। ऐसे में ट्रंप की भारत के खिलाफ की गई हरकतें और बयान कई सवालों को जन्म देते हैं। जिसमें अब तक 332 अवैध भारतीय प्रवासियों को अमेरिका से वापस भेजा जाना शामिल है। लेकिन ट्रंप के कार्यकाल में अवैध चीनी अप्रवासियों को बाहर नहीं निकाला जा सका है।
जिसके बारे में Dainik Bhaskar अपने ई-पोर्टल पर ‘स्पॉटलाइट‘ में बताता है कि ”Voice of America के मुताबिक पिछले कई सालों से चीन अपने देश से अवैध अप्रवासियों को लेने से मना करता रहा है और या फिर न लेने में टालमटोल करता रहा है। चीन का विदेश मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि हम सिर्फ उन्हीं अवैध Immigrants को लेंगे जो सत्यापन के बाद चीनी पाए जाएंगे। हालांकि भारत भी सत्यापन का पालन करता है। लेकिन चीन इस मामले में ज्यादा जटिलताएं पैदा करता है। ऐसे देशों को असहयोगी कहा जाता है।”
अवैध चीनी अप्रवासी को नहीं किया निर्वासित
Dainik Bhaskar Spotlight Stories video में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ”जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन देशों पर टैरिफ लगाने की बात कही जो अवैध अप्रवासियों को वापस लेने में सहयोग नहीं दिखा रहे हैं, तो चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता वूमन माओ निंग ने कहा- हम उन चीनी अवैध अप्रवासियों को वापस लेंगे जिनका सत्यापन हो चुका होगा।”
दैनिक भास्कर अपनी रिपोर्ट में आगे कहता है, ”एलन मस्क Donald Trump सरकार की सलाहकार संस्था DOGE के लीडर हैं। Elon Musk टेस्ला के सीईओ हैं। जिसकी सबसे बड़ी फैक्ट्री शंघाई में है। Tesla की 40 फीसदी बैटरी सप्लाई चीनी कंपनी पर निर्भर है।”
Dainik Bhaskar Spotlight Stories में विदेश मामलों के विशेषज्ञ पुष्पेश पंत के बयानों के हवाले से कहा गया, ”पंत कहते हैं- अमेरिका की अर्थव्यवस्था कई मामलों में चीन पर निर्भर है। दोनों के बीच ट्रेड वॉर दुनिया को दिखाने के लिए ही है। दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। इसके मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था बहुत छोटी है। अमेरिका को चीनी सप्लाई चेन से बहुत फायदा होता है। जिसे ट्रंप खराब नहीं करना चाहेंगे।”
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