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New Parliament Building: तमिल परंपराओं से सेंगोल की होगी नई संसद में स्थापना, जानें क्या है इसका चोल साम्राज्य से संबंध?

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New Parliament Building: भारत के बहुप्रतीक्षित नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाएगा। इस ऐतिहासिक मौके पर एक ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित किया जा रहा है। बुधवार 24 मई 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि नए संसद भवन में उद्घाटन के बाद लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास एक सेंगोल स्थापित किया जाएगा। ये सेंगोल अगस्त 1947 में तमिलनाडु की जनता ने सत्ता हस्तांतरण के तौर पर पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को रस्मी तौर पर दिया था। इस सेंगोल को तब से प्रयागराज के म्यूजियम (इलाहाबाद म्यूजियम) के नेहरू दीर्घा में रखा गया था। इसे दिल्ली लाया गया है। उन्होंने कहा कि ये नया संसद भवन हमारे इतिहास,परंपरा, सभ्यता तथा सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता से जोड़ने की कोशिश है।

सेंगोल को लेकर बोले गृहमंत्री अमित शाह

इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि “हमारी सरकार का मानना है कि इस पवित्र सेंगोल को संग्रहालय में रखना अनुचित है। इसकी स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपर्युक्त ,पवित्र कोई अन्य स्थान नहीं हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि ” इसीलिए जब नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा,उसी दिन मोदी बहुत विनम्रता के साथ, तमिलनाडु के एक अधीनम से सेंगोल को ग्रहण करेंगे और बहुत सम्मान के साथ, इसे लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास रखेंगे” गृह मंत्री ने इस मौके पर एक वेबसाइट भी लांच की,जिसमें एक शार्ट डॉक्यूमेंट्री के साथ साथ राजदंड के महत्व और उसकी पृष्ठभूमि की जानकारी दी गई।

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सेंगोल का तमिल चोल साम्राज्य से संबंध

बता दें सेंगोल को तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है धर्म,सच्चाई और निष्ठा। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था। चोल काल के दौरान राजाओं के राज्याभिषेक के समय सेंगोल का सर्वाधिक महत्व होता था। यह एक भाले और ध्वजदंड के रूप में कार्य करता था। बेहतरीन नक्काशी और जटिल सजावट से भरपूर एक शासक के दूसरे शासक को सत्ता हस्तांतरण के रूप में दिया जाता था।

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