Parvesh Verma: नई दिल्ली विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम होंगे। दिल्ली भाजपा की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी गई है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए Parvesh Verma की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है। लेकिन बुधवार को दिल्ली भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद जो खबर आई, उससे प्रवेश के समर्थकों में थोड़ी निराशा जरूर है। हालांकि, प्रवेश के ज्यादातर समर्थकों का कहना है कि उनके नेता के लिए पद मायने नहीं रखता, बल्कि वह अभी भी उनके लिए सीएम से बड़े नेता हैं।
परिवार का BJP से रहा है पुराना नाता
आपको बता दें कि प्रवेश को Delhi CM चेहरे के तौर पर देखा जा रहा था। इसके पीछे कई वजहें थीं। प्रवेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि भले ही सर्वधर्म समभाव की रही हो, लेकिन भाजपा सूत्रों का मानना है कि प्रवेश वर्मा पंजाबी और जाट का मुख्य चेहरा हैं। प्रवेश की लोकप्रियता Delhi ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में फैली हुई है। जिसका असर नई दिल्ली सीट पर हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला।
यहां प्रवेश वर्मा ने Arvind Kejriwal को 4,089 वोटों से हराया। वह न केवल राजनीति के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन और मानवता के हित में भी लगातार काम करते रहे हैं। प्रवेश ‘राष्ट्रीय स्वयं’ नाम से एक समाजसेवी संस्था भी चलाते हैं। वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और BJP नेता दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। हालांकि राजनीति में प्रवेश ने समर्पण और सात्विक व्यवहार से अपना कद काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनका परिवार दिल्ली के प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक माना जाता रहा है।
पिता के पदचिन्हों पर बेट ने Politics में मारी एंट्री
प्रवेश के पिता के अलावा उनके परिवार में अन्य लोगों के राजनीतिक संबंधों की लंबी फेहरिस्त है। शुरुआत करते हैं उनके चाचा से। प्रवेश वर्मा के चाचा भी राजनीति में प्रभावशाली नेता रहे हैं। वह उत्तरी Delhi नगर निगम के महापौर पद पर रह चुके हैं। इसके अलावा प्रवेश के चाचा ने साल 2013 में मुंडका विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। प्रवेश की पत्नी स्वाति सिंह मध्य प्रदेश BJP के कद्दावर नेता विक्रम वर्मा की बेटी हैं।
मालूम हो कि प्रवेश वर्मा के पिता पूर्व CM Sahib Singh Verma की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह भाजपा के दिग्गज जाट नेताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर हुआ करते थे। कहा जाता है कि पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए प्रवेश वर्मा ने राजनीति में आने का फैसला किया और वह साल 2013 में पहली बार चुनाव लड़े और महरौली से विधायक चुने गए।