Premanand Maharaj: पीरियड्स को लेकर न जाने लोगों के बीच के किस किस तरह की अवधारणाएं होती है। कुछ लोग जहां पीरियड्स को काफी हीन नजर से देखते हैं तो अक्सर समाज में पीरियड्स के दौरान भगवान को छूने की इजाजत नहीं दी जाती है। किसी भी शुभ मौके पर अगर Periods आ जाए तो महिलाएं क्या करें खास कर तब जब आप किसी तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। ऐसे समय में आप भगवान के दर्शन कर सकती हैं। इसे लेकर महिलाओं के मन में अक्सर सवालात होते हैं जिसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने हर उसे महिला के कंफ्यूजन को दूर करते हुए दिखे।
Premanand Maharaj से जानें क्या पीरियड्स में भगवन दर्शन की है मनाही
Credit- @BhajanMarg
BhajanMarg यूट्यूब चैनल से शेयर किए गए क्लिप में एक महिला प्रेमानंद महाराज से पूछती है कि “महाराज जैसे हम लोग यात्राओं में जाते हैं तो बहुत सारी महिलाएं जो आती है हमारे पास वह कहती हैं जब उन्हें मासिक धर्म आ जाता है तो उस अवस्था में वे लोग क्या करें कि वह दर्शन करें या ना करें। Premanand Maharaj कहते हैं, “दर्शन करने का सौभाग्य तो नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि मासिक धर्म एक शारीरिक शरीर की प्रक्रिया है जो प्रत्येक माता बहनों के शरीर में स्वाभाविक आती है। महीने में एक बार आती है। आपको अचानक ऐसी स्थिति आ गई है और बार-बार आना जाना हो नहीं सकता तो हमें लगता है कि स्नान करके और भगवत प्रसाद चंदन जल आदि छिड़क कर भगवत दर्शन कर देना चाहिए दूर से। ना कोई सेवा सामग्री देनी चाहिए और ना स्पर्श करना चाहिए।”
Periods का क्या है भगवान इंद्र से कनेक्शन प्रेमानंद महाराज ने बताया
पीरियड्स को लेकर प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि “मासिक धर्म कोई ऐसा नहीं है कि बहुत निंदनीय बात हो बहुत वंदनीय बात है। महिला ने देवराज इंद्र की ब्रह्म हत्या को अपने ऊपर लिया है। देवराज इंद्र देव के द्वारा ब्रह्म हत्या हुई वृता असुर के करने की तो उस ब्रह्म हत्या को ब्रह्म ऋषियों ने विभाजित किया। पहले नदी को दिया जो फन बुलबुले के रूप में ऊपर होता है। दूसरा वृक्षों को दिया जो गोंद के रूप में होता है तीसरा भूमि को दिया जो उसर भूमि के रूप में होता है। चौथा माता बहनों को दिया जो मासिक धर्म के रूप में होता है। यह उनकी वंदना है। इन्होंने त्रिभुवन पति के ब्रह्म ऋषियों की हत्या को अपने ऊपर लिया है।”
Premanand Maharaj आगे कहते हैं कि इन्होंने थोड़े अपराध किया है। इतनी मेहनत करके हम कोई धाम में जाते हैं। इस दौरान अर्थ की समस्या भी होती है कोई शरीर की समस्या आ जाती है तो इस बात से केवल वंचित कर दिया तो हमें लगता है कि उनको यह सौभाग्य मिलना चाहिए।