मंगलवार, नवम्बर 25, 2025
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SIR 2025: ममता बनर्जी के हाथ से सत्ता की चाबी फिसल सकती है? बिहार के बाद बंगाल में भाजपा जीत का परचम लहराने को तैयार! जानते ही खुशी से झूम उठेंगे लोग

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SIR 2025: पश्चिम बंगाल समेत देश भर के 12 राज्यों में वोटर लिस्ट इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) शुरू हो गया है। इसे लेकर साउथ से नॉर्थ तक विरोध के सुर उठने लगे हैं। पश्चिम बंगाल के हकीमपुर बॉर्डर पर गैर-कानूनी बांग्लादेशियों की भारी भीड़ देखी जा रही है। एसआईआर 2025 के डर से ये लोग अपनी मर्ज़ी से बीएसएफ जवानों से बांग्लादेश लौटने के लिए गुहार लगा रहे हैं। यह नज़ारा सिर्फ़ हकीमपुर बॉर्डर पर ही नहीं दिख रहा, बल्कि दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल समेत कई बॉर्डर इलाकों पर भी यही हाल देखने को मिल रहा है। जिससे कहा जा रहा है कि आने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ने वाली है।

दूसरी तरफ, बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हो रहा है। बीजेपी ने अपने राजनीतिक आधार के मजबूत होने का दावा करना शुरू कर दिया है। बिहार चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता अब पश्चिम बंगाल जीतने का दावा कर रहे हैं। इन सबके पीछे का वजह जानने योग्य है। जिसके लिए इस ख़बर को अंत तक पढ़ने की सलाह दी जाती है।

ममता बनर्जी के हाथ से सत्ता की चाबी फिसल सकती है? – SIR 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए एक नई रणनीति बना रहे हैं। यही वजह है कि बीजेपी ने मार्च-अप्रैल 2026 में होने वाले पश्चिम बंगाल चुनावों में जीत का दावा करना शुरू कर दिया है। इस बीच, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को लेकर तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में रहने वाले अवैध अप्रवासियों का जाना, जो हकीमपुर बॉर्डर, दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल सहित कई बॉर्डर पर एसआईआर के डर से अपनी मर्ज़ी से बांग्लादेश लौट रहे हैं, ममता बनर्जी के वोट बैंक को कम कर सकता है।

हकीमपुर बॉर्डर पर मिले अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों का कहना हैं कि उन्हें मतदाचा सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव का डर है और वे किसी भी तरह से पश्चिम बंगाल से भागने की कोशिश कर रहे हैं। बॉर्डर पर मौजूद अवैध बांग्लादेशियों आगे बताते हैं कि वे गरीबी और सही डॉक्यूमेंट्स कमी के साथ आए थे। अब जब बंगाल में एसआईआर 2025 चल रहा है, तो वापस लौटना बेहतर लग रहा है।

उनमें से एक का कहना हैं कि उन्होंने ब्रोकर्स और बिचौलियों से आधार, राशन कार्ड और वोटर कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स हासिल किए थे। इन पुराने डॉक्यूमेंट्स को वोटर लिस्ट इंटेंसिव रिवीजन 2025 में फिर से वेरिफाई किया जा रहा है, इसलिए लोग पूछताछ और हिरासत से बचने के लिए अपनी मर्ज़ी से बांग्लादेश लौटने की कोशिश कर रहे हैं। इसका साफ़ मतलब है कि पश्चिम बंगाल में ऐसे गैर-कानूनी इमिग्रेंट्स बहुत ज़्यादा हैं, और राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस उनसे हमदर्दी रखती रही हैं। अब, चुनाव आयोग के सख़्त कैंपेन ने ममता बनर्जी सरकार की कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी है।

बिहार के बाद बंगाल में भाजपा को क्या फायदा होगा? – एसआईआर 2025

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने कामयाबी से गठबंधन को जीवंत बनाया है। बिहार में कभी पारंपरिक वोट बैंक माना जाने वाला आधार बिखर गया है, जिससे कई नए उदाहरण सामने आए हैं। जाति के समीकरण को देखें तो एनडीए वहां भी मज़बूती से खड़ा दिख रहा है।

मालूम हो कि राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और दूसरी राजनीतिक पार्टियां जो सालों से बिहार में एमवाय वोट बैंक पर नज़र गड़ाए हुए थीं, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में वह समीकरण बिखर गया है। इसलिए, पश्चिम बंगाल चुनाव जीतना अब भाजपा के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है, खासकर तब जब बंगाल में ममता बनर्जी के अवैध सीक्रेट वोटर्स एसआईआर 2025 के डर से अब बांग्लादेश भागने को मजबूर हैं। इस लिहाज़ से, पश्चिम बंगाल, जो लंबे समय से बदलाव और विकास के लिए राह देखता रहा है, राज्य के सत्ता में आने के लिए भाजपा को बहुमत… सत्ता की चाबी सौंप सकता है।

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Rupesh Ranjan
Rupesh Ranjanhttp://www.dnpindiahindi.in
Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

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