RN Ravi: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन रवि इन दिनों विवादों के घेरे में हैं। हाल ही में 10 विधेयकों को तीन साल से ज्यादा समय तक रोके रखने के कारण सुप्रीम कोर्ट से फटकार खाने वाले रवि अब एक नए विवाद में घिर गए हैं। अब उन पर लगे आरोपों पर देशभर में चर्चा का बाजार गर्म है। ये कोई आम चर्चा नहीं बल्कि आस्था के साथ संवैधानिक ताकतों से भी जुड़ी है।
जिसमें शिक्षाविदों का संगठन स्टेट प्लेटफॉर्म फॉर कॉमन स्कूल सिस्टम तमिलनाडु कह रहा है कि राज्यपाल RN Ravi संविधान का पालन करने और उसके आदर्शों व संस्थाओं का सम्मान करने में विफल रहे हैं। इसके लिए उनका तर्क है कि उन्हें तुरंत हटा दिया जाना चाहिए। इतना कुछ क्यों हुआ है? आखिर पूरा मामला क्या है जिसकी वजह से सत्तारूढ़ सरकार और शैक्षणिक निकायों के नेता आर एन रवि के पीछे पड़े हैं।
Tamil Nadu में राज्यपाल RN Ravi को पद से हटाने की उठी मांग
दरअसल, तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन रवि ने कथित तौर पर एक समारोह में छात्रों से “जय श्री राम” का नारा लगाने को कहा था। इस पर Tamil Nadu से लेकर पूरे देश में काफी चर्चा हो रही है। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ सरकार के नेता और शैक्षणिक निकाय इसे अलग मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं। वे सभी राज्यपाल रवि के कृत्य की निंदा कर रहे हैं। इतना ही नहीं, एक शैक्षणिक निकाय ने तो उन्हें पद से हटाने की मांग भी कर दी है।
इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि राज्यपाल आर.एन. रवि संविधान का पालन करने और उसके आदर्शों और संस्थाओं का सम्मान करने में विफल रहे। तमिलनाडु के गैर-लाभकारी संगठन स्टेट प्लेटफॉर्म फॉर कॉमन स्कूल सिस्टम तमिलनाडु ने कहा है कि तमिलनाडु के राज्यपाल RN Ravi को भारत के संविधान के अनुच्छेद 159 का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए तुरंत उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए।
Supreme Court ने राज्यपाल RN Ravi के फैसले पर जताई आपत्ति
मालूम हो कि इस सप्ताह की शुरुआत में Supreme Court ने 10 प्रमुख विधेयकों को मंजूरी नहीं देने के आर.एन रवि के फैसले को अवैध और मनमाना करार दिया था और कहा था कि राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं है और उन्हें विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर एक महीने के भीतर फैसला लेना चाहिए। मालूम हो कि राज्यपाल RN Ravi ने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को मंजूरी देने में देरी की थी, जिसके चलते Tamil Nadu सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।