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Uttarakhand में सुरंग और बाईपास निर्माण के कारण Joshimath खतरे में, विशेषज्ञों की राय तत्काल निर्माण कार्य रोका जाए

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Uttarakhand News: जोशीमठ में सुरंग और बाईपास निर्माण से होने वाले भूमि धंसाव के कारण शहर के जनजीवन को खतरा उतपन्न हो गया है। अतः विशेषज्ञों की टीम के अनुसार  निर्माण एजेंसियों को स्वतंत्र विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के साथ कार्य करना होगा।

जोशीमठ शहर हो रहा प्रभावित

देश के सीमांत प्रदेशों में से एक उत्तराखंड में आवागमन सुविधाओं को विकसित करने में लगी सरकारी सड़क निर्माण तथा अन्य टनलिंग एजेंसियों के अनियोजित निर्माण के कारण हो रहे भूमि धंसाव से राज्य के सामान्य जनजीवन को खतरा उतपन्न हो गया है। आपको बता दें जोशीमठ शहर में हेलंग बाई पास सड़क तथा एंटीपीटीसी के सुरंग निर्माण का कार्य हो रहा है। सुरंग निर्माण में एक ओर से विस्फोट का सहारा लिया जा रहा है तो दूसरी ओर से टनल बोरिंग मशीन से कार्य एक निजी कम्पनी से कराया जा रहा है। सही विशेषज्ञता न होने के कारण मशीन पहाड़ के अंदर फंसी हुई है। जिससे स्थितियां बिगड़ गई हैं। अभी तक सुरंग निर्माण 4 किमी दूर तक ही हुआ है।  निजी कम्पनी स्वतंत्र विशेषज्ञों को अपने साथ अध्ययन नहीं करने देना चाहती। यह एक दुस्साहस है तपोवन विष्णुगाड़ हाइड्रो परियोजना हेतु 2 सुरंग बनाई जानी है। इसी प्रकार हेलंग बाईपास के निर्माण को लेकर भी स्वतंत्र वैज्ञानिक चिंता व्यक्त कर रहे हे। 

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जाने क्या कहती है स्वतंत्र वैज्ञानिक टीम

स्वतंत्र वैज्ञानिकों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे भू वैज्ञानिक नवीन जुयाल ने कल 6 जनवरी 2023 को एक प्रेस वार्ता करता हुए बताया कि जोशीमठ को तब तक नहीं बचाया जा सकता जबतक कि हेलंग बाईपास और सेलंग सुरंग का निर्माण कार्य तत्काल न रोका गया। जुयाल ने कहा कि तीखे ढाल में बसे जोशीमठ के नीचे से बाइपास बनाने का काम चल रहा है, जिसके कारण यह क्षेत्र कमजोर हो रहा है। जबकि 1976 में ही मिश्रा कमेटी ने यह कह दिया था कि  इस क्षेत्र में एक भी बोल्डर नहीं चलना चाहिए। किन्तु सलाहों को न मानकर परियोजना को हरी झंडी दे दी गई। 

जुयाल ने कहा कि  जोशीमठ भूकंप की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है। यह बात 1939 में ही कह दी गई थी। इसी प्रकार 2013 में हुए केदारनाथ दुर्घटना के पश्चात गंगा आह्वान कमेटी के संयोजक तथा चारधाम परियोजना पर बनी उच्चतम न्यायालय की उच्चशक्ति समिति के सदस्य हेमंत ध्यानी ने कहा कि  पहाड़ों के साथ छेड़छाड़ रोक देनी चाहिए। 2014 में सलाह को स्वीकार तो कर लिया गया किन्तु लागू नहीं किया गया।

इस अनदेखी के कारण जोशीमठ शहर में हुए भूमि धंसाव के कारण कई घरों में खतरनाक दरारें आ गई है।   

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