Premanand Maharaj: आधुनिकता के इस दौर में शादी-विवाह खर्चीला आयोजन हो गया है। समय की मांग को देखते हुए लोग तमाम तरह के डिजाइनर निमंत्रण कार्ड भी छपवा रहे हैं। उन कार्ड्स पर गणेश जी महाराज या अन्य देवी-देवताओं की तस्वीर जरूर होती है। इस संदर्भ में कई सवाल भी उठते हैं जिनका जवाब गुरु प्रेमानंद महाराज जी के हवाले से सामने आया है। प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि शादी-विवाह के कार्ड पर देवी-देवता की तस्वीरें छपवाना गलत होता है। गुरु प्रेमानंद का कहना है कि ऐसा करना भगवान का अपमान है जिसके परिणामस्वरूप कई तरह के दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। आइए हम आपको प्रेमानंद महाराज के विचारों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
शादी के कार्ड पर भगवान की तस्वीर छपवाने वालों के लिए हैं Premanand Maharaj का संदेश!
वृंदावन-मथुरा समेत देश के विभिन्न हिस्सों में लोकप्रिय गुरु प्रेमानंद महाराज ने शादी के कार्ड पर भगवान की तस्वीर छपवाने वालों के लिए अहम संदेश दिया है।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि “शादी का कार्ड तय समय तक उपयोग होने वाली वस्तु है। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद यह लोगों के लिए रद्दी बन जाता है। इसे कभी कूड़े में फेंका जाता है, तो कभी घर के कोने में पड़ा-पड़ा खराब हो जाता है। ऐसे में उस पर छपी भगवान की छवि का अपमान होना स्वाभाविक है। भगवान का हमेशा सम्मान करना चाहिए, किसी भी रूप में उनका अपमान नहीं करना चाहिए। इसलिए निमंत्रण पत्र पर उनकी तस्वीर का उपयोग करना उचित नहीं माना जाता है।”
गुरु प्रेमानंद की मानें तो शादी के कार्ड पर आवश्यक जानकारियां होनी चाहिए। इसमें वर-वधू का नाम, विवाह की तिथि और कार्यक्रम स्थल आदि जैसी आवश्यक जानकारी शामिल है। हालांकि, आधुनिकता के दौर में लोग देवी-देवता की तस्वीर का इस्तेमाल कर नए ट्रेंड में शामिल हो रहे हैं, जो गलत है।
प्रेमानंद महाराज के संदेश में छिपी अहम कड़ी
लोकप्रिय संत गुरु प्रेमानंद महाराज के संदेशों में कुछ अहम कड़ी छिपी है। उन्होंने साफ किया है कि शादी के कार्ड पर देवी-देवता की तस्वीर लोगों के लिए दुष्परिणाम का कारण बन सकती है। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद पवित्र छवियों के साथ छपा शादी का कार्ड कूड़ेदान में जाता है। कई लोगों के पैरों तले भी कार्ड लगता है जो भगवान का अपमान है। ऐसी स्थिति में दैविय शक्तियां अपमान करने वालों को श्राप दे सकती हैं जो हानिकारक साबित हो सकती है। यही वजह है कि प्रेमानंद महाराज ऐसा ना करने की नसीहत देते हैं।
