Premanand Maharaj: दिसंबर अंतिम पड़ाव पर है और इस माह के समापन के साथ ही हम नए वर्ष 2025 में प्रवेश कर जाएंगे। New Year का इंतजार लोगों को बड़ी बेसब्री से रहता है। असंख्य लोग नव वर्ष की शुरुआत होने के साथ कई सारे प्रण लेते हैं। लोग अपने जीवन शैली में बदलाव कर कुछ हासिल करने की बात भी करते हैं। कई ऐसे भी लोग हैं जो नव वर्ष की आमद से पहले दिसंबर की आखिरी रात और 1 जनवरी की पहली सुबह जमकर जश्न मनाने के पक्षधर होते हैं।
ऐसे लोगों के लिए Premanand Maharaj ने एक खास संदेश जारी किया है। प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि न्यू इयर पर पार्टी करने वालों को क्या-क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए। ऐसे में आइए हन आपको प्रेमानंद महाराज के उन विचारों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जो उन्होंने खास तौर पर उन लोगों के लिए जारी किया है जो नए साल पर जश्न मनाने की तैयारी मे हैं।
New Year पर जश्न मनाने की चाहत रखने वालों के लिए Premanand Maharaj का खास संदेश!
प्रभु पालनहार नामक इंस्टाग्राम हैंडल से एक वीडियो जारी किया गया है। वीडियो में प्रेमानंद महाराज को उपदेश देते सुना जा सकता है। प्रेमानंद महाराज न्यू इयर पर पार्टी की चाहत रखने वालों के लिए कई खास बात कहते नजर आ रहे हैं।
Premanand Maharaj लोगों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि “राक्षसी न्यू इयर मत मनाना, मदीरा पीना, मांस खाना, व्यभिचार करना, विलासिता करना। ये गलती कभी भूलकर भी मत करना। अगर हमारे शब्द आप तक पहुंच रहे हैं, तो हम हाथ जोड़ कर आपसे प्रार्थना कर रहे हैं कि कोई भी उत्सव मनाने के लिए पूरी रात नाम कीर्तन कीजिए। प्रात: काल होने पर पशु-पक्षियों को दाना, गौ-माता को चारा, भूखों को भोजन उपलब्ध कराइए। ठंडी है कभी एक सॉल खरीदकर किसी कांपते हुए शरीर को ढ़क दो, हो गया तुम्हारा न्यू इयर। अगर तुम्हें कोई भी उत्सव करना है तो भगवत नाम का कीर्तन करो। रात भर जगकर, सब नाचो-गाओ, प्रभु का यश गाओ और 10-5 लोगों को इकट्ठा कर लो। जीवन सार्थक हो जाएगा, पूरा वर्ष मंगलमय जाएगा।”
प्रेमानंद महाराज के उपदेश के क्या हैं मायने?
ध्यान देने योग्य बात है कि पूर्व में न्यू इयर सेलिब्रेशन के नाम पर युवाओं को मांस-मदीरा का सेवन करते, तेज रफ्तार में वाहन चलाते और फिर छोटी-छोटी बात पर माहौल खराब करते देखा गया है। इसके कारण कई हादसे भी हो जाते हैं। कईयों की जान तक चली जाती है। ऐसे में युवाओं के भविष्य और आगामी समय में उनकी भूमिका को देखते हुए प्रेमानंद महाराज ने ये उपदेश दिया है। यदि युवा वर्ग या जश्न मनाने वाले लोग ध्यान से प्रेमानंद महाराज की बात सुनते हैं, तो शायद उन्हें इसका महत्व पता चल सकेगा।