Asaduddin Owaisi: सियासी उठा-पटक का दौर जारी है और इस बीच राजनीतिक दल एक-दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ये सारा वाकया बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ से जुड़ा है। इसी बीच एआईएमआईएम है जो मुस्लिम बाहुल सीमांचल के इलाके में सेंधमारी करने में जुटी है। असदुद्दीन ओवैसी पूरी ऊर्जा के साथ किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, भागलपुर और कटिहार पर नजर जमाए हुए हैं।
ये वो जिले हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। महागठबंधन भी सीमांचल में पूरी ऊर्जा के साथ लगी है। हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी की मजबूत उपस्थिति तेजस्वी यादव का खेल बिगाड़ सकती है। यदि एआईएमआईएम प्रमुख मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी करने में सफल रहे, तो वे तेजस्वी यादव के लिए गले की फांस बन सकते हैं।
महागठबंधन के लिए गले की फांस बने Asaduddin Owaisi!
बिहार में विपक्षी दल राजद के लिए एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण सदैव सहायक रहता है। टिप्पणीकारों की मानें तो राजद अपने इन्हीं मूल वोट के आधार पर मजबूती से उपस्थिति दर्ज कराती है। हालांकि, 2020 के बाद अब 2025 में भी एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश कर महागठबंधन के लिए गले की फांस बनते नजर आ रहे हैं।
सीमांचल पर नजर जमाए हुए असदुद्दीन ओवैसी ने मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने वाली महागठबंधन को निशाने पर लिया है। सांसद ओवैसी ने कहा है कि “जब मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम बन सकता है, तो मोहम्मद का बेटा क्यों नहीं बन सकता।” यहां आशय साफ है कि कैसे असदुद्दीन ओवैसी तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन पर निशाना साधते हुए गले की फांस बन रहे हैं।
मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी हुई, तो बिगड़ सकता है तेजस्वी का खेल?
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एआईएमआईएम अब खुलकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करने की जुगत में है। असदुद्दीन ओवैसी लगातार सीमांचल का दौरा कर इलाके को विशेष दर्जा दिलाने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अब बात बराबरी की होगी, गुलामी की नहीं। मतलब ओवैसी सूबे के 18 फीसदी मुसलमानों को राजद की चंगुल से निकलने और अपने हक की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं।
यदि वे अपनी मुहिम में सफल होते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव महागठबंधन के चुनावी प्रदर्शन पर पड़ सकता है। राजद का कोर वोट माने जाने वाले मुस्लिम समुदाय यदि असदुद्दीन ओवैसी के पाले में जाता है, तो इससे बिहार में एआईएमआईएम का वजूद मजबूत होगा। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम वोट बैंक की सेंधमारी तेजस्वी यादव की उम्मीदों पर पानी फेर देगी और उन्हें सीएम बनने की रेस में पछाड़ सकेगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन कैसे इन चुनौतियों से उभरता है।






