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ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस बढ़ोतरी पर आप नेता Anurag Dhanda ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना; जानें पूरी डिटेल

Anurag Dhanda: आप राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने एच-1 बी वीजा मुद्दें को उठाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

Anurag Dhanda
Anurag Dhanda - फाइल फोटो

Anurag Dhanda: भारत पर 50 टैरिफ बढ़ाने के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा का बम फोड़ दिया है। दरअसल ट्रंप ने वीजा के दाम में भारी बढ़ोतरी करते हुए उसे बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है। यानि एच-1बी वीजा अप्लाई करने के लिए लोगों को 1 लाख डॉलर यानि करीब 88 लाख रूपये देने होंगे। बता दें कि 70 प्रतिशत भारतीय इस वीजा का उपयोग करते है। यानि यह फैसला भारतीयों के सामने दिक्कतें खड़ा कर सकता है। इसी बीच आप राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ने अनुराग ढांडा इस मुद्दों के उठाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। चलिए आपको बताते है इससे जुड़ी सभी अहम जानकारी।

ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस बढ़ोतरी पर आप नेता Anurag Dhanda का केंद्र सरकार पर तंज

बता दें कि आप नेता अनुराग ढांडा ने डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से एच-1बी वीजा फीस बढ़ोतरी को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि

“ट्रम्प – मैंने भारत को युद्धविराम के लिए मजबूर किया, मोदी – चुप्पी, ट्रम्प – भारत के खिलाफ 50% टैरिफ वृद्धि, मोदी – चुप्पी, ट्रम्प -H1B वीज़ा के लिए 90 लाख रुपये का शुल्क, मोदी – चुप्पी, ट्रम्प – मोदी मेरे दोस्त हैं। मोदी – ट्रम्प महान हैं”। माना जा रहा है कि ट्रंप के इस चाल से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीयों को ही होने वाला है। हालांकि कई एक्सपर्ट का मानना है कि इससे ना सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका को भी नुकसान होने की उम्मीद है।

H1-B Visa आवेदकों को अब देने होंगे 1 लाख डॉलर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं।जिसके तहत कंपनियों द्वारा H-1B आवेदकों को प्रायोजित करने के लिए भुगतान की जाने वाली फीस को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर यानि करीब 88 लाख रूपये देने होंगे। इस मामले में व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ ने जानकारी देते हुए कहा कि “सबसे ज़्यादा दुरुपयोग की जाने वाली वीज़ा प्रणालियों में से एक H1-B गैर-आप्रवासी वीज़ा कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य उन उच्च कुशल मज़दूरों को अमेरिका आने की अनुमति देना है जो उन क्षेत्रों में काम करते हैं जहाँ अमेरिकी काम नहीं करते।

इस घोषणा से कंपनियों द्वारा H-1B आवेदकों को प्रायोजित करने के लिए दी जाने वाली फीस बढ़कर $100,000 हो जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे जिन लोगों को ला रहे हैं वे वास्तव में अत्यधिक कुशल हैं और उनकी जगह अमेरिकी मज़दूर नहीं ले सकते।” हालांकि भारत की तरफ से इस मामले में किसी प्रकार का बयान नहीं आया है।

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