Bihar Assembly Election 2025: सियासत संभावनाओं का खेल है और यही वजह है कि बिहार पर सबकी नजरें टिकी हैं। यहां प्रत्यक्ष रूप से कुछ और जबकि पर्दे के पीछे अलग खेल चल रहा है। तमाम जद्दोजहद के बाद एनडीए में मचे घमासान की स्थिति सामने आ चुकी है। नीतीश कुमार की नाराजगी से जुड़ी खबरों के बीच उपेन्द्र कुशवाहा ने सार्वजनिक रूप से एनडीए में कुछ ठीक ना होने की बात कह कर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है।
आलम ये है कि अब दिल्ली दरबार संकट में है और नाराज सहयोगियों की मनाने की कवायद जारी है। खबरों की मानें तो बिहार बीजेपी के नेता नित्यानंद राय अपने सहयोगी उपेन्द्र कुशवाहा के साथ दिल्ली पहुंच रहे हैं। वहीं धर्मेन्द्र प्रधान लगातार संजय झा, ललन सिंह से संपर्क कर जेडीयू को साधने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में आइए हम आपको सभी संभानाओं के बारे में बताते हैं।
सीट शेयरिंग के बाद एनडीए में घमासान – Bihar Assembly Election 2025
दरअसल, उपेन्द्र कुशवाहा ने सार्वजनिक रूप से ऐसी बात कह दी है जो तमाम पहरेदारी को भेदते हुए एनडीए में मचे घमासान को बयां कर रहा है। एनडीए के घटक दल आरएलपी के प्रमुख ने साफ तौर पर कहा है कि “दिस टाइम नथिंग इज वेल इन एनडीए।” इसका आशय है अभी एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है। खबरों की मानें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीटों के बंटवारे को लेकर बहुत खफा हैं।
उन्होंने रेखा खींच दी है और सीटों की संख्या का ऐलान होने के बाद भी नाराज हैं। एनडीए में मचे घमासान की एक बानगी बीते सोमवार को देखने को मिली, जब एनडीए की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी गई। इसके बाद सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, धर्मेन्द्र प्रधान, नित्यानंद राय समेत बीजेपी के तमाम नेता अपने सहयोगियों से मिलने की कवायद करते नजर आए। ये सारे समीकरण एनडीए में मचे घमासान को दर्शाते हैं जिसे नियंत्रित करने के लिए बीजेपी परेशान है।
दिल्ली दरबार पहुंचा बिहार में मचे सियासी संग्राम का मामला
अमित शाह सीधे तौर पर बिहार चुनाव की मॉनिटरिंग कर रहे हैं ऐसा टिप्पणीकारों का मानना है। यही वजह है कि एनडीए घटक दलों में सीट शेयरिंग ऐलान के बाद खुले तौर पर सामने आ रहे असंतोष का मामला दिल्ली दरबार पहुंच रहा है। दिल्ली दरबार ने केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को बिहार चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है।
गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व बीजेपी चुनाव समिति से जुड़े अन्य तमाम नेता लगातार अपने सहयोगियों से संपर्क साधकर सभी तरह के असंतोष खत्म कराने और एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए प्रयासरत हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व कैसे एनडीए में मचे घमासान को समाप्त कर चुनावी समीकरण को साधने में कामयाब हो पाता है।