VS Achuthanandan: दिग्गज वामपंथी व केरल की राजनीति के अजातशत्रु रहे पूर्व सीएम वीएस अच्युतानंदन का निधन हो गया है। 101 वर्ष की उम्र में वेलिक्काकाथु शंकरन अच्युतानंदन ने अंतिम सांस ली है। अपनी बेबाक शैली व कुटनीति के तहत केरल की सियासत में अमिट छाप छोड़ जाने वाले वीएस अच्युतानंदन उन चुनिंदे लोगों में शामिल थे जिन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर निकलकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी।
80 वर्ष से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव रखने वाले VS Achuthanandan के निधन से केरल की राजनीति में वो शून्य पैदा हुआ है, जिसकी पूर्ति शायद ही कभी की जा सके। सीएम पिनरई विजयन, शशि थरूर, केसी वेणुगोपाल समेत अन्य तमाम दिग्गज नेताओं ने केरल के मुख्यमंत्री रहे अच्युतानंदन को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया है।
लंबी बिमारी से जूझ रहे थे LDF के दिग्गज नेता VS Achuthanandan
वर्ष 2019 की बात है जब वीएस अच्युतानंदन के सक्रिय राजनीति से दूर होने की खबरें तुल पकड़ने लगी थीं। 2006 से 2011 तक केरल के सीएम और फिर 2011 से 2016 से LDF के नेतृत्वकर्ता के तौर पर नेता विपक्ष रहे अच्युतानंदन की तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ते गई। अंतत: वर्ष 2019 में स्ट्रोक आने के बाद वे पूरी तरह से अचलस्त हो गए। इसके बाद इलाज का दौर शुरू हुआ जो आज यानी 21 जुलाई, 2025 तक नहीं थम सका।
आज फिर दिल का दौरा पड़ने और सांस लेने दिक्कत की शिकायत के बाद VS Achuthanandan को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शाम 3:20 पर उन्होंने अंतिम सांस ली है। इसी के साथ 20 अक्तूबर 1923 को केरल के अलपुझा में जन्मे इस दिग्गज वामपंथी नेता का अध्याय आज यानी 21 जुलाई, 2025 को 101 वर्ष की आयु में समाप्त हो गया है। 1940 से सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने वाले पूर्व सीएम अच्युतानंदन के पास 80 वर्ष से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव था। ऐसी तमाम स्मृतियां हैं जिनके सहारे अच्युतानंदन केरल की सियासत में अमर रहेंगे और अजातशत्रु के तौर पर जाने जाते रहेंगे।
केरल की सियासत के अजातशत्रु रहे पूर्व सीएम अच्युतानंदन!
अपनी बेबाक शैली और निश्छल स्वभाव के कारण अच्युतानंदन का विरोधी खेमे में भी बोलबाला था। वो खुद LDF (लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) के नेता के तौर पर जाने जाते थे, लेकिन UDF के साथ अन्य राजनीतिक मोर्चों में भी उनके तमाम शुभचिंतक थे। VS Achuthanandan की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वे 1967, 1970, 1991, 2001, 2006 और 2011 में केरल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। इससे इतर अच्युतानंदन वर्ष 1992, 1996, 2001, 2006, 2011 और 2016 में LDF का नेतृत्व करते हुए विपक्ष के नेता भी रहे।
वर्ष 2006 से 2011 तक वीएस अच्युतानंदन के सितारे सिर चढ़कर बोले और उन्होंने इस दौरान मुख्यमंत्री के रूप में केरल की जनता की भरपूर सेवा की। मार्क्सवादी विचारधारी से सराबोर ये नेता अपनों के साथ विरोधी खेमे में भी सर्वमान्य था जिसके कारण नेतागण अच्युतानंदन के विरोधी नहीं बन सके। यही वजह है कि उन्हें केरल की सियासत का अजातशत्रु कहा जाता है। आज 101 वर्ष की आयु में उनके निधन के बाद केरल के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में सन्नाटा पसरा है।