Humayun Kabir: पश्चिम बंगाल चुनाव में महज कुछ ही दिनों का समय बच गया है। पार्टियां के बीच जुबानी जंग अभी से ही शुरू हो गई है। तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता और भरतपुर विधायक हुमायूं कबीर ने शनिवार को घोषणा की कि उनकी नवगठित जनता उन्नयन पार्टी (जेयूपी) पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 182 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। माना जा रहा है कि इससे ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ सकती है। वहीं अब खबर सामने आ रही है कि असदुद्दीन ओवैसी भी कबीर के साथ आ सकते है। गौरतलब है कि पहले बीजेपी ने पहली ही टेंशन बढ़ा रखी थी। वहीं अब हुमायूं कबीर टेंशन बढ़ाने के लिए तैयार है। चलिए आपको बताते है इससे जुड़ी अहम जानकारी।
क्या Humayun Kabir और असदुद्दीन ओवैसी आएंगे साथ
हुमायूं कबीर की नई पार्टी बनाने से पश्चिम बंगाल की चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदलने वाला है। माना जा रहा है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को हो सकता है। वहीं अब हुमायूं कबीर ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) से चुनावी गठबंधन की इच्छा जताई है। यानि अगर साथ में असुदुद्दीन ओवैसी और हुमायूं कबीर की पार्टी साथ आती है, तो मुस्लिम वोट बंटने की उम्मीद है। जिससे ममता सरकार की मुश्किलें और बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यह चुनावी समीकरण कई पार्टियों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।
क्या ममता बनर्जी की बढ़ने वाली है मुश्किलें
अगले साल के शुरूआत में ही पश्चिम बंगाल में चुनाव होने है। बीजेपी ने तो अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी है। लगातार बैठकों का दौर जारी है। लेकिन यह चुनाव ममता बनर्जी के लिए आसान नहीं होना जा रहा है। एक तरफ ममता बनर्जी की बीजेपी ने टेंशन बढ़ा रखी है। तो दूसरी तरफ हुमायूं कबीर की नई पार्टी बनने से ममता बनर्जी की नई टेंशन शुरू हो गई है। शनिवार को कबीर ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 294 सीटों में से 182 पर उम्मीदवार उतारेगी। कबीर ने दावा किया कि 182 सीटों पर लड़ने से चमत्कारिक नतीजे आएंगे, जो बंगाल के वरिष्ठ और अनुभवी राजनेताओं ने हासिल नहीं किए।
