बुधवार, जून 11, 2025
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‘सरकार एक ऐसे न्यायाधीश को बचाने की…’ जस्टिस Yashwant Varma और जस्टिस शेखर यादव पर ये क्या बोल गए Kapil Sibal; केंद्र सरकार पर तंज

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Kapil Sibal: संसद के मानसून सत्र से पहले ही राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील एक बार फिर चर्चा में बने हुए है, साथ ही उन्होंने केेंद्र सरकार पर भी जमकर तंज कसा, दरअसल मीडिया से बात करते हुए Kapil Sibal ने जस्टिस Yashwant Varma के हटाए जाने की चर्चा पर अपनी बात रखी और कहा कि अगर इन-हाउस जांच रिपोर्ट के आधार पर हटाया जाता है तो यह “असंवैधानिक” होगा।

जानकारी क मुताबिक केंद्र सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि उनके आवास पर कथित बोरी में जले हुए नोट मिले थे, जिसके बाद से ही यह पूरा मामला गरमा गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की जांच में भी जस्टिस वर्मा दोषी पाए गए थे। हालांकि सिब्बल ने यह साफ कहा कि विपक्ष यशवंत वर्मा के महाभियोग का विरोध करेगा! न्यायपालिका की स्वतंत्रता दांव पर है।

जस्टिस Yashwant Varma का समर्थन करते दिखे Kapil Sibal

मीडिया से बात करते हुए राज्यसभा सांसद Kapil Sibal ने कहा कि “मैं शेखर यादव के संदर्भ में अपनाई गई प्रक्रियाओं के बारे में बात कर रहा हूं और क्यों उसी प्रक्रिया का पालन सचिवालय द्वारा यशवंत वर्मा के मामले में लिखे जाने वाले पत्र के माध्यम से नहीं किया गया। यह सरकार एक ऐसे न्यायाधीश को बचाने का प्रयास कर रही है जो स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक है। यह सब संदेश देने के लिए है। सरकार न्यायपालिका से कह रही है कि उसे एनजेएसी लाना चाहिए और हमें (सरकार को) नियुक्त करने का अधिकार देना चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में न्यायधीश शेखर यादव को लेकर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सवाल पूछा कि जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जज को बचाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि उन्होंने पिछले साल सांप्रदायिक बयान दिया था।

जस्टिस शेखर यादव में सांसद ने केंद्र सरकार को घेरा

वरिष्ठ वकील Kapil Sibal ने आगे कहा कि “13 दिसंबर 2024 को हमने राज्यसभा के चेयरमैन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था। उस पर राज्यसभा के 55 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। करीब छह महीने हो गए हैं और आज तक चेयरमैन ने उस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है। जो लोग संवैधानिक पदों पर हैं, उन्हें सिर्फ हस्ताक्षरों को सत्यापित करने की जरूरत है क्या इसमें छह महीने लगने चाहिए?

मैं आज आपको बताता हूं – 55 हस्ताक्षर हैं – दो चीजें होंगी, या तो कोई कार्रवाई नहीं होगी या 5-6 हस्ताक्षरों को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा ताकि प्रस्ताव खारिज हो सके”। हालांकि अब देखना होगा कि केंद्र सरकार संसद की मानसून सत्र में क्या कार्रवाई करती है।

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