Karnataka Politics: तमाम सियासी उठा-पटक के बीच पार्टी अध्यक्ष की दखल तेज हो गई है। आलम ये है कि मल्लिकार्जुन खड़गे को बीच-बचाव कर स्थिति सुलझाने की कवायद करनी पड़ रही है। यहां बात कर्नाटक के संदर्भ में हो रही है जहां नेतृत्व परिवर्तन को लेकर संग्राम छिड़ा है। पहले डीके शिवकुमार सीएम सिद्धारमैया के आवास पर ब्रेकफास्ट के लिए पहुंचे और अब उन्होंने मुख्यमंत्री को अपने आवास पर नास्ते के लिए बुलाया है।
इन तमाम घटनाक्रम के बीच कांग्रेस आलाकमान यानी सोनियां गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी मौन साधे हुए हैं। इस सियासी गुत्थी को सुलझाने की जिम्मेदारी मल्लिकार्जुन खड़गे के कंधों पर है। सीएम सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार के ब्रेकफास्ट प्लान के बीच चढ़ते सियासी पारा को लेकर सबकी नजरें ‘सीएम चेयर’ पर टिकी हैं।
क्या सुलझेगी Karnataka Politics की गुत्थी?
इस सवाल का जवाब अभी भी भविष्य के गर्भ में है। दरअसल, कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सियासी जंग छिड़ी है। डीके शिवकुमार का खेमा अंदरखाने अभी मुख्यमंत्री की कुर्सी से कम पर समझौता करने पर तैयार नहीं है। हालांकि, दोनों नेताओं की सार्वजनिक बैठक ब्रेकफास्ट मीटिंग के दौरान हो चुकी है। अब दूसरा ब्रेकफास्ट प्लान भी तैयार है जिसके तहत सीएम सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के आवास पर मिल सकते हैं।
दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व परिवर्तन को लेकर छिड़ी इस जंग को धीरे से सुलझाना चाहती है, ताकि संग्राम की खबरें माहौल ना खराब करें। तमाम नेता डैमेज कंट्रोल के लिए जुट गए हैं। आसार जताए जा रहे हैं कि कांग्रेस समय रहते इस सियासी गुत्थी को सुलझा लेगी। हालांकि, वास्तविक रूप से क्या होगा इसके लिए सही समय का इंतजार करना होगा।
पार्टी अध्यक्ष का दखल और आलाकमान के मौन से चढ़ा सियासी पारा!
कर्नाटक की स्थिति बहुत अलग है। उदाहरण से समझें तो नजर आता है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस सियासी संग्राम को खत्म कर सूबे में स्थिति नियंत्रित करना चाहते हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने कहा है कि नेतृत्व परिवर्तन का वादा उनकी मौजूदगी में किया गया था और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। प्रेसिडेंट खड़गे की लगातार दखल के बीच आलाकमान की चुप्पी कईयों को काट रही है।
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी या अन्य शीर्ष इस मसले पर बोलने से कतरा रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानों सारा का सारा प्रभार मल्लिकार्जुन खड़गे के कंधों पर है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर छिड़े इस संग्राम को संसद के शीतकालीन सत्र के मध्य निपटाना चाहती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मसले पर आगे क्या होता है और कैसे कांग्रेस इस चुनौती से पार पाती है।






