Maharashtra Politics: निकाय चुनाव से पहले महाराष्ट्र में नया समीकरण बनता नजर आ रहा है। अब ये लगभग पुख्ता हो चुका है कि BMC चुनाव से पहले ठाकरे ब्रदर्स एक साथ मंच साझा करेंगे। मामला है कि अनिवार्य हिंदी को लेकर छिड़ी चर्चा जिसने महाराष्ट्र पॉलिटिक्स को नई दिशा दे दी है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने इस बात की पुष्टि की है कि स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ मंच साझा करेंगे और एकजुट मार्च निकालेंगे। बीएमसी चुनाव से पहले Maharashtra Politics में ये बदलता खेल क्या सत्तारुढ़ दल बीजेपी के लिए नई चुनौती बनेगा? दशकों बाद ठाकरे ब्रदर्स का कंधा से कंधा मिलाना क्या महाराष्ट्र की जनता को नया विकल्प देगा? ऐसे तमाम सवाल हैं जो महाराष्ट्र पॉलिटिक्स के इस बदलते समीकरण के बीच उठ रहे हैं। आइए हम इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।
दशकों बाद कंधे से कंधा मिलाएंगे ठाकरे ब्रदर्स!
संजय राउत ने ऐसा संकेत दिया है जो लोगों को दशकों पहले महाराष्ट्र में उत्तराधिकार के लिए छिड़ी जग की ओर ले जाता है। तब बालासाहेब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था जिसके बाद राज ठाकरे ने वर्ष 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की। MNS और शिवसेना के सुर बदलने के बाद दोनों भाई महाराष्ट्र पॉलिटिक्स में कभी साथ नहीं नजर आए। हालांकि, अब ऐसे समीकरण बने हैं जब लगभग 20 वर्षों बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच साझा करेंगे। हिंदी भाषा को लेकर छिड़ी जंग के बीच Maharashtra Politics में आया ये बड़ा बदलाव कई अहम संकेत दे रहा है। कहा जा रहा है कि यदि ठाकरे ब्रदर्स की जोड़ी आगे भी साथ टिक गई, तो समीकरण पूरी तरह से बदल सकता है। ऐसे में महाराष्ट्र की जनता के एक समक्ष एक और विकल्प खड़ा हो सकता है।
ठाकरे ब्रदर्स की जुगलबंदी क्या Maharashtra Politics में BJP के लिए बनेगी नई चुनौती?
जुगलबंदी का संकेत संजय राउत ने दिया है। अब ये तय है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को संयुक्त तौर से रैली करेंगे और हिंदी भाषा की अनिवार्यता वाले फैसले का विरोध करेंगे। दरअसल, महाराष्ट्र पॉलिटिक्स में नई चर्चा छेड़ते हुए फडणवीस सरकार ने राज्य के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाने का फैसला लिया। हालांकि, सरकार हिंदी को वैकल्पिक और मराठी, अंग्रेजी को अनिवार्य करने के रूप में बता रही है। इसी को लेकर Maharashtra Politics में नया समीकरण बना है और अब उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे एक फ्रंट पर नजर आ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि यदि ठाकरे ब्रदर्स की जुगलबंदी हिंदी भाषा के विरोध से इतर आगे भी जारी रही, तो BMC चुनाव में सत्तारुढ़ बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और शिवसेना (यूबीटी) एक साथ मिलकर मुंबई के चुनावी मैदान में बीजेपी के लिए चुनौती पैदा कर सकती हैं। हालांकि, अभी चुनावी मैदान में ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने को लेकर किसी भी तरह की आधिकारिक जानकारी नहीं सामने आई है। यदि ऐसा कुछ होता है, तो निश्चित रूप से ये Maharashtra Politics में बड़ा खेल होगा और अन्य दलों पर इसका असर पड़ सकता है। फिलहाल उचित समय का इंतजार करना ही एकमात्र विकल्प है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और पुख्ता जानकारी मिल सके।