Mohammad Azharuddin: दक्षिण में मोंथा साइक्लोन के साथ सियासी तूफान की आमद भी तेज हो गई है। दरअसल, कांग्रेस ने तेलंगाना में सधी चाल चलते हुए मोहम्मद अजहरुद्दीन को रेवंत रेड्डी कैबिनेट में जगह दे दी है। पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन अब माननीय मंत्री हो गए हैं।
हालांकि, अजहरुद्दीन के तेलंगाना कैबिनेट में शामिल होने के साथ ही सियासी भूचाल मच गया है। बीजेपी के साथ बीआरएस भी कांग्रेस के इस कदम की आलोचना कर रही है। विपक्ष का दावा है कि 11 नवंबर को होने वाले जुबली हिल्स उपचुनाव से ठीक पहले मोहम्मद अजहरुद्दीन को कैबिनेट में शामिल करना आचार संहिता का उल्लंघन है। इसी का जिक्र कर बीजेपी कांग्रेस पर अल्पसंख्यक कार्ड खेलने का आरोप लगाते हुए आलोचना कर रही है।
पूर्व क्रिकेटर Mohammad Azharuddin के मंत्रिमंडल में शामिल होने पर सियासी भूचाल!
तेलंगाना के राजनीतिक गलियारों में फिलहाल मोहम्मद अजहरुद्दीन का नाम चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरा मामला अजहरुद्दीन के तेलंगाना मंत्रिमंडल में शामिल होने से जुड़ा है।
दरअसल, आज 31 अक्टूबर को पूर्व क्रिकेटर व कांग्रेस नेता ने मंत्री पद की शपथ ली है। इसको लेकर बीजेपी और बीआरएस सूबे की सत्तारुढ़ दल कांग्रेस की जमकर आलोचना कर रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि 11 नवंबर को जुबली हिल्स सीट सीट पर उपचुनाव होगा।
उससे ठीक पूर्व रेवंत रेड्डी सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार आचार संहिता का उल्लंघन है। वहीं कांग्रेस अपने बचाव में तर्क पेश करते हुए इस कदम को लंबे समय से चले आ रहे असंतुलन को ठीक करने की बात बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी ने मोहम्मद अजहरुद्दीन को मंत्री बनाकर कैबिनेट में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है।
आखिर क्यों बीजेपी कर रही कांग्रेस के कदम की आलोचना?
इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए जुबली हिल्स विधानसभा सीट का समीकरण समझना अनिवार्य है। दरअसल, जुबली हिल्स सीट पर 3.98 लाख वोटरों में से लगभग 25 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। यहां 2014 के बाद से बीआरएस का प्रभुत्व रहा है। ऐसे में कांग्रेस ने मौके पर चौका लगाते हुए जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव से पूर्व मुस्लिम मंत्री बनाकर बड़ा दाव खेल दिया है।
बीजेपी का दावा है कि मोहम्मद अजहरुद्दीन को मंत्री बनाकर कांग्रेस उपचुनाव में अपनी संभावनाएं बेहतर करना चाहती है। अब चूकी अजहरुद्दीन तेलंगाना सरकार में एकमात्र अल्पसंख्यक चेहरा हैं। यही वजह है कि बीजेपी और बीआरएस के दावों को बल मिलता नजर आ रहा है। इसी तर्क के साथ बीजेपी कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए मोहम्मद अजहरुद्दीन को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले कदम की आलोचना कर रही है।






