Bengal Politics: सूबे में सियासी हो-हल्ला का दौर जारी है। एक ओर मुर्शिदाबाद में नई बाबरी मस्जिद की नींव सुर्खियां बटोर रही है, तो दूसरी ओर एसआईआर सियासी गलियारों का तापमान बढ़ा रहा है। इसी बीच कुछ अहम मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई हैं जो सत्तारुढ़ दल टीएमसी की प्रमुख सीएम ममता बनर्जी की चिंता बढ़ा सकती हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो एसआईआर 2025 के बाद कोलकाता की उत्तर और दक्षिण लोकसभा सीट पर लगभग 21 फीसदी मतदाता कम हो सकते हैं। वहीं कुल 56 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कटने के आसार हैं, जो पश्चिम बंगाल की 90 विधानसभा सीटों का समीकरण बदल सकता है। ऐसी स्थिति में सर्वाधिक प्रभावित सत्तारुढ़ दल हो सकता है जिसको लेकर ममता बनर्जी के अगले कदम पर सवाल उठ रहे हैं।
कोलकाता के साथ दर्जनों अन्य सीटों पर कम हो सकते हैं मतदाता
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसको लेकर दावा किया जा रहा है। जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता उत्तर और दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में 21 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के नाम, जो 27 अक्टूबर को मतदाता सूची में थे, 16 दिसंबर को प्रकाशित होने वाली मसौदा सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे। यह मतदाता रिकॉर्ड के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के भाग के रूप में है। ऐसी स्थिति में कोलकाता की मसौदा मतदाता सूची में 21 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
एक अन्य मीडिया संस्थान न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 56.37 लाख वोटर अनकलेक्टिबल यानी संदिग्ध पाए गए हैं। इन्हें वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो कुल 7.5 फीसदी मतदाता वोटर लिस्ट से गायब हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में बंगाल की कुल 294 सीटों से औसतन हर सीट से 19000 मतदाताओं की संख्या कम होगी। सीधे तौर पर ये आंकड़ा बंगाल में सियासी समीकरण को बदल सकता है जो आगामी विधानसभा चुनाव 2026 को दिलचस्प बनाएगा।
क्या करेंगी सीएम ममता बनर्जी?
एसआईआर के बाद मृतक, लापता व अन्य दस्तावेज न प्रमाणित कर पाने वालों के नाम मतदाता सूची से हट जाएंगे। ऐसे लोगों की संख्या करीब 56 लाख है जो कुल 7.5 फीसदी मतदाता हैं। सभी जानते हैं कि 2 फीसदी का वोट स्विंग सरकार बदल देता है, यहां तो बात 7.5 फीसदी मतदाताओं की है। हरियाणा, बिहार इसके पुख्ता उदाहरण रहे हैं। यही वजह है कि सत्तारुढ़ दल टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि एसआईआर के खिलाफ मुखरता से आवाज उठा चुकीं ममता बनर्जी आगे क्या करती हैं।






